कोरोना: श्मशान कर्मचारियों का बुरा हाल, शवदाह के लिए लंबा इंतज़ार
BBC
भारत के कई राज्यों में कोरोना के मरीज़ अस्पताल में अपने इलाज का इंतज़ार कर रहे हैं और जिनकी मौत हो गई है, उनका दाह संस्कार समय पर नहीं हो पा रहा है.
भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर साल 1918 में आए स्पैनिश फ़्लू की कहानी दोहराती हुई दिख रही है. साल 1918 के अप्रैल-मई महीने में स्पैनिश फ़्लू की पहली लहर आई, जो यूरोप के कई देशों में फैली. लेकिन धीरे-धीरे से फ़्लू कम होता गया, लगा मामला ख़त्म होने वाला है, लेकिन ये 'तूफ़ान आने से पहले की ख़ामोशी' जैसी थी. अगस्त, 1918 में स्पैनिश फ़्लू का एक नया म्यूटेंट आया और ये इतना ख़तरनाक साबित हुआ कि किसी ने इसकी कल्पना तक नहीं की थी. यूरोप में ये ऐसे फैला, जैसे जंगल में आग फैल रही हो. ये तो बात थी साल 1918 की. अब ज़रा वर्तमान में आते है और बात भारत की करते हैं. भारत में कोरोना की दूसरी लहर इतनी ख़तरनाक हो चुकी है कि हर दिन औसतन डेढ़ लाख से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं. मरने वालों का आँकड़ा प्रतिदिन 1000 से ज़्यादा हो चुका है. मरीज़ अस्पताल में अपने इलाज का इंतज़ार कर रहे हैं और तो और दाह संस्कार के लिए मृतकों के परिजनों को लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है. ऐसे में बीबीसी ने देश के सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमण वाले राज्य के शवगृहों में काम करने वाले कर्मचारियों और दाह संस्कार के लिए घंटों इंतज़ार करने वाले परिजनों से बात करके ये समझने की कोशिश की कि हालात कैसे हैं.More Related News