कोरोना वैक्सीन लेना क्या सरकार अनिवार्य कर सकती है? क्या कहता है क़ानून
BBC
मेघालय हाई कोर्ट ने बीते दिनों उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कुछ ज़िलों में दुकानदारों, टैक्सी और ऑटो चलाने वालों के लिए वैक्सीन लगाना अनिवार्य कर दिया गया था. दूसरे कई राज्यों में भी ये मुद्दा चर्चा में है.
पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की सरकार ने कई ज़िलों में दुकानदारों, टैक्सी और ऑटो चलाने वालों के साथ-साथ रेहड़ी पर सामान बेचने वालों के लिए शर्त रखी कि कोरोना की वैक्सीन लिए बग़ैर वो अपना काम दोबारा शुरू नहीं कर सकते. कई ज़िलों में ये आदेश वहां के उपायुक्तों ने जारी किया. लेकिन मेघालय हाई कोर्ट ने इसे निरस्त करते हुए कहा कि वैक्सीन लेने को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.अदालत ने इस आदेश को मौलिक अधिकार और निजता के अधिकार का हनन बताते हुए रद्द कर दिया. मेघालय की तरह के आदेश कुछ दूसरे राज्यों की सरकार ने भी जारी किए हैं. इनमें गुजरात भी शामिल है. गुजरात के 18 शहरों में व्यावसायिक संस्थानों से कहा गया है कि वो 30 जून तक अपने कर्मचारियों का टीकाकरण करवा लें. बाक़ी के शहरों और ज़िलों में 10 जुलाई की समय सीमा तय की गई है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में ऐसे संस्थानों को बंद करा दिया जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में वैक्सीन लगवाने को अनिवार्य किया जा रहा है? ख़ास कर तब जब केंद्रीय परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन लगवाने को लोगों की स्वेच्छा पर छोड़ दिया था.More Related News