कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति की मौत के ढाई महीने बाद अंतिम संस्कार
BBC
मृतक के घरवालों का आरोप है कि उनसे रिश्वत मांगी गई थी. मेडिकल कॉलेज ने इस आरोप को ग़लत बताया है.
उत्तर प्रदेश के सरकारी मुर्दाघर में एक शव को ढाई महीने तक मुखाग्नि का इंतज़ार करना पड़ा क्योंकि सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों ने उनके ग़रीब घरवालों से कथित तौर पर 15 हज़ार रुपये की रिश्वत मांगी थी और मृतक के परिजन इसे पूरा नहीं कर सके थे. कोरोना संक्रमण के कारण मरने वाले 39 वर्षीय नरेश का अंतिम संस्कार एक स्वंयसेवी संस्था की मदद से बीते गुरुवार को हापुड़ में संपन्न हुआ. मृतक नरेश की पत्नी गुड़िया ने मीडिया के सवाल पर कहा, "मौत की ख़बर मिलने के बाद जब हम शव लेने अस्पताल पहुंचे तो हमसे 15 हज़ार रुपयों की मांग की गई, वो हम नहीं जुटा पाए तो घर चले गए." हालांकि मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार रिश्वत मांगने के आरोप को बेबुनियाद बताते हैं. वे कहते हैं कि परिजन कोरोना से मौत का पता चलने पर अस्पताल तो पहुंचे थे लेकिन शव लिए बिना ही वहां से वापस चले गए और उनका मोबाइल नंबर भी लगातार स्विच्ड ऑफ़ आता रहा.More Related News