
कोरोना दौर में डेढ़ करोड़ भारतीयों ने निकाले पीएफ़ से 31 हज़ार करोड़, क्या हैं मायने?
BBC
कोरोना महामारी के दौरान पैसे की तंगी की वजह से भारत के लाखों लोगों को अपने ईपीएफ़ से पैसा निकालने को मजबूर होना पड़ा.
"सितंबर 2020 का वक़्त पूरी दुनिया की तरह मेरे परिवार के लिए भी काफ़ी मुश्किलों भरा था. उस समय मेरे परिवार को पैसों की सख़्त ज़रूरत थी. अंतिम उपाय के तौर पर, मुझे अपने पीएफ़ (भविष्य निधि) के जमा पैसे निकालकर घर भेजना पड़ा. वो समय बहुत कठिन था."
महामारी के दौरान अहमदाबाद की एक निजी कंपनी में काम करने वाले गिरीश (बदला हुआ नाम) लॉकडाउन के बाद पैसे की तंगी को याद करते हुए ये बातें बताते हैं.
गिरीश ने तब इम्प्लॉइज़ प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) के अपने अकाउंट से कोविड एडवांस के रूप में 19,700 रुपए निकाले थे.
वो आगे कहते हैं, "मैंने अपने पीएफ़ से कभी पैसे नहीं निकाले थे. मुझे नहीं पता था कि आगे कभी इसे निकालने की ज़रूरत पड़ेगी. मध्य वर्ग के लिए पीएफ़ का पैसा अंतिम उपाय होता है. लोगों को जब तक पैसे की सख़्त ज़रूरत न हो, वो इसे निकालना पसंद नहीं करते. मेरी सोच भी वैसी ही थी."
लेकिन गिरीश अकेले नहीं थे. कोरोना के दौरान पैसे की तंगी के चलते उनकी तरह भारत के लाखों लोगों को अपने ईपीएफ़ से पैसा निकालने को मजबूर होना पड़ा.