
कोरोना के क़हर में जीवन और मौत के बीच का पुल बना सोशल मीडिया
BBC
इस अराजक माहौल के बीच मरीज़ों के परिजन सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करके ज़रूरी ऑक्सीजन, बेड, दवाइयां और प्लाज़्मा का इंतज़ाम कर रहे हैं
कोरोना की दूसरी लहर के रूप में भारत में मची तबाही से हर रोज़ देश में तीन लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं. अपने परिजनों तक मदद पहुँचाने के लिए लोग बड़ी बेचैनी से सोशल मीडिया की सहायता ले रहे हैं. अपने बीमार परिजन को अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, रेमेडिसविर और प्लाज़्मा दिलाने के लिए लोग सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रहे हैं. ऐसे वक़्त में ये माध्यम ही शायद उनकी अकेली उम्मीद हैं. इसके लिए लोग सुबह से देर रात तक अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को स्कैन कर रहे हैं. व्हाट्सएप के विभिन्न समूहों में मैसेज छोड़ रहे हैं. और लोगों को कॉल करके आस लगा रहे हैं कि कहीं से कोई मदद उन्हें मिल जाए. पूरा माहौल अराजक और बोझिल बना हुआ है. एक व्हाट्सएप मैसेज फ्लैश होना शुरू होता है कि 'आईसीयू के दो बेड ख़ाली.' कुछ मिनट बाद पता चलता है कि वह भर गया. इस बीच एक और मैसेज आता है, ''ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर की ज़रूरत है. कृपया मदद करें.'' स्वास्थ्य प्रणाली के चरमरा जाने के बाद सोशल मीडिया, लोगों की मदद और भाग्य, अब ये चीज़ें ही लोगों के जीवन और मौत को तय कर रही हैं.More Related News