कोरोना की लड़ाई में NDRF बना देवदूत, ऑक्सीजन सप्लाई में निभा रहा बड़ी भूमिका
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जब देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा है, ऐसे मुश्किल समय में भी एनडीआरफ की तरफ से लगातार मदद की जा रही है. उनकी वजह से कई अस्पतालों तक समय रहते ऑक्सीजन प्लांट पहुंच रहे हैं.
देश में कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे पहले एनडीआरएफ से सहायता मांगी जाती है. रेस्क्यू ऑपरेशन में भी वे एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं और उन्हीं के बेहतरीन काम की वजह से कई लोगों की जान बच पाती है. अब जब देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा है, ऐसे मुश्किल समय में भी एनडीआरफ की तरफ से काफी मदद की जा रही है. उनकी वजह से कई अस्पतालों तक समय रहते ऑक्सीजन प्लांट पहुंच रहे हैं. कोरोना की लड़ाई में NDRF की भूमिकासबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
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हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.