कोरोना की तीसरी लहर में वयस्कों की तुलना में बच्चों को कम ख़तरा: डब्ल्यूएचओ-एम्स सर्वे
The Wire
डब्ल्यूएचओ और एम्स के ताज़ा सीरो प्रिवलेंस अध्ययन के अनुसार सार्स-सीओवी-2 की सीरो पॉजिटिविटी दर वयस्क आबादी की तुलना में बच्चों में अधिक है इसलिए ऐसी संभावना नहीं है कि भविष्य में कोविड-19 का मौजूदा स्वरूप दो साल और इससे अधिक उम्र के बच्चों को तुलनात्मक रूप से अधिक प्रभावित करेगा.
नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक संयुक्त सर्वे से पता चला है कि मौजूदा कोविड-19 वायरस की संभावित तीसरी लहर वयस्कों की तुलना में बच्चों को अधिक प्रभावित नहीं करेगी. लाइवमिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ और एम्स के ताजा सीरो प्रिवलेंस अध्ययन से पता चला है कि सार्स-सीओवी-2 की सीरो पॉजिटिविटी दर वयस्क आबादी की तुलना में बच्चों में अधिक है इसलिए ऐसी संभावना नहीं है कि भविष्य में कोविड-19 का मौजूदा स्वरूप दो साल और इससे अधिक उम्र के बच्चों को तुलनात्मक रूप से अधिक प्रभावित करेगा. इस सर्वे में पांच चुनिंदा राज्यों से कुल 10,000 सैंपल लिए गए. मध्यावधि विश्लेषण के समय परिणामों के लिए भारत के चार राज्यों के 4,500 प्रतिभागियों के डेटा लिए गए. इस सर्वे से जुड़े और नतीजे आगामी दो से तीन महीने में आ सकते हैं. इस सर्वे का नेतृत्व करने वाले नई दिल्ली के एम्स में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्रा ने बताया कि अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण दिल्ली के शहरी इलाकों में सबसे अधिक सीरो प्रिवलेंस 74.7 फीसदी है.More Related News