
कोरोना का ऐसा खौफ, श्मशान घाट में 'अपनों' की अस्थियां लेने नहीं जा रहे लोग
NDTV India
आलिंद कहते हैं, हिंदू पद्धति में जो मृतक होते हैं उनके परिवारजन लगभग 13 दिन के अंदर अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन करते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि कई मृतकों के परिजनों ने करीब एक-डेढ़ साल होने के बाद भी अस्थि विसर्जन को लेकर सुध नहीं ली. अलीगढ़ के नुमाइश ग्राउंड वाले मुक्तिधाम में कोई अपनी मां के फूल चुनने नहीं आया. श्मशान के लोग अस्थियां चुन रहे हैं.
कोविड महामारी का खौफ लोगों में इस कदर व्याप्त है कि उत्तर प्रदेश में इसके कारण मरने वालों हमारों लोगों की अस्थियां लेने उनके अपने श्मशानों में नहीं पहुंचे हैं. ये अस्थियां अभी भी विसर्जन के इंतजार में है. यही नहीं, कोरोना के खौफ के कारण बहुतों को तो 'अपनों' का कंधा तक नहीं मिला, स्वयंसेवी लोगों ने अंतिम संस्कार किया. तमाम लोग श्मशान में पहुंचे लेकिन चिता जलते ही घर लौट गए और फूल चुनने लौटे ही नहीं. फिरोजाबाद के स्वर्गाश्रम में इसके प्रबंधक आलिंद अग्रवाल भरे हुए दिल से इन अस्थियों के विसर्जन की राह देख रहे हैं. इनमें तमाम अस्थियां कोरोना के पिछले साल के समय की हैं लेकिन कोरोना का खौफ ऐसा है कि जिन मां-बाप ने जन्म दिया उनकी अस्थियां लेने भी लोग नहीं गए.More Related News