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कोरोना का इलाज किया, जान भी गंवाई, उन डॉक्टरों को मोदी सरकार से मिला क्या?: बीबीसी पड़ताल
BBC
कोरोना महामारी के दौरान जब पीएम मोदी ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना की तो कइयों ने परिवार की परवाह न करते हुए अपना फ़र्ज़ अदा किया और जान तक गंवा बैठे. ऐसे मुसीबतज़दा परिवारों को मोदी सरकार से क्या मिला. पढ़िए बीबीसी की पड़ताल.
22 वर्षीय मालती गंगवार और 56 साल की सुजाता भावे में कोई बहुत समानता नहीं है. सिवाय इसके कि दोनों ने कोविड-19 से अपने प्रियजनों को खोया है और दोनों ही मामलों में इनके प्रियजन स्वास्थ्यकर्मी थे. दोनों के बीच एक और समानता है- दोनों ही इस बात से निराश हैं कि बुरे वक़्त में उनके साथ खड़ा रहने के सरकार के वादे के बाद भी उनके साथ किस तरह का व्यवहार किया गया. महामारी की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिवारों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत तौर पर सराहना की गई. उनके इशारे पर आम नागरिक थाली पीटते और दीये जलाते नज़र आए और स्वास्थ्यकर्मियों पर सेना के हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियों की बारिश की गई. बीबीसी यह समझने के लिए कि उन परिवारों की आज स्थिति कैसी है, अपनी महीनों की पड़ताल के दरम्यान डॉक्टरों, मेडिकल एसोसिएशन, पूर्व नौकरशाहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ ज़मीनी स्तर पर स्वास्थ्यकर्मियों के परिवारों तक पहुंची. इस पड़ताल में सूचना का अधिकार क़ानून 2005 के तहत सरकार के पास आवेदन देना और सार्वजनिक दस्तावेज़ों पर शोध करना भी शामिल है.More Related News