
कोरोनाः बड़े शहरों से लेकर गांवों तक फैल रही है दूसरी लहर
BBC
एक हफ़्ते में कोटा, इलाहाबाद, कबीरधाम, भागलपुर, औरंगाबाद और नैनीताल शहरों और आसपास के गांवों की हालत तेज़ी से ख़राब हुई है
भारत में आई कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और पुणे को तबाह करके रख दिया है. अस्पतालों और श्मशानों में अब जगह नहीं बची. हालत यह है कि पार्किंग एरिया में शवों को जलाया जा रहा है. लेकिन महामारी ने अब छोटे शहरों, शहरों और गांवों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. और यहां हो रही तबाही के ज़्यादातर मामले आंकड़ों में दर्ज नहीं हो रहे हैं. राजेश सोनी ने अपने पिता को भर्ती कराने के लिए मंगलवार को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ने में में आठ घंटे लगाए. उन्हें एम्बुलेंस नहीं मिली, लिहाज़ा एक पुरानी ऑटो से वे अपने पिता को लेकर भटकते रहे. पिता की हालत बिगड़ने पर शाम पाँच बजे उन्होंने अस्पताल में बेड की तलाश छोड़कर अपने घर लौटने का फ़ैसला किया. उन्होंने तब सब कुछ 'अपने भाग्य पर छोड़ दिया.' वे कहते हैं, ''मैं उन्हें घर पर ही दवाइयां दे रहा हूं, पर मुझे यक़ीन नहीं है कि वे बच पाएंगे. हमें सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है.'' वे कहते हैं कि कई निजी अस्पतालों ने उन्हें भ्रम में रखा और जाँच करने के लिए पैसे लिए लेकिन बाद में यह कहकर उनके पिता को लेकर जाने को कहा कि अस्पताल में कोई बेड ख़ाली नहीं है. उन्होंने कहा, ''मैं पैसे वाला आदमी नहीं हूं. मेरे पास जो कुछ भी था, उसे मैंने ऑटो ड्राइवर और अस्पताल को दे दिया. अब घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर लाने के लिए मैं कुछ पैसे उधार लेने जा रहा हूं.'' दिल्ली में ऐसी कहानियां अब आम हो गई हैं. कोरोना की दूसरी लहर से दिल्ली पर सबसे ज़्यादा असर हुआ है. लेकिन अब ऐसी ही ख़बरें देश के छोटे शहरों और गांवों से भी सामने आ रही हैं.More Related News