कोई हस्तक्षेप नहीं, असीमित अधिकार... 2013 में UPA सरकार ने वक्फ बोर्ड की क्या शक्तियां बढ़ाई थीं?
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वक्फ एक्ट में कई बार बदलाव किए गए हैं ताकि इसे अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा सके. 1954 में जब वक्फ बोर्ड का गठन हुआ, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. यानी नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया था, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की जमीन केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 के तहत वक्फ बोर्डों को दे दी.
वक्फ बोर्ड चर्चा में है. केंद्र की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के 70 साल पुराने कानून में एक बार फिर बदलाव लाने की तैयारी में है. जल्द ही इस संशोधित विधेयक संसद के पटल पर रखा जाएगा. इस विधेयक के जरिए मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की मनमानी पर रोक लगा सकेगी और अधिकारों को भी कम किया जा सकेगा. देशभर में वक्फ की 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं. वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में कुल मिलाकर करीब 9.4 लाख एकड़ जमीन है. इससे पहले शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने वक्फ बोर्ड की क्या शक्तियां बढ़ाई थीं? कब-कब इसमें बदलाव हुए? जानिए पूरी टाइमलाइन...
शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 पेश किया गया. अंग्रेजों ने सबसे पहले मद्रास धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1925 पेश किया था. इसका मुसलमानों और ईसाइयों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया. इस तरह मुस्लिमों और ईसाइयों को इस विधेयक से बाहर करने के लिए इसे फिर से तैयार किया गया. बाद में इसे सिर्फ हिंदुओं पर लागू किया गया और इसका नाम बदलकर मद्रास हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती अधिनियम 1927 कर दिया गया. आजादी के बाद वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया. इसके बाद 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को ज्यादा शक्तियां दीं गईं. 2013 में संशोधन हुआ और वक्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां दी गईं. वक्फ अधिनियम के संशोधन में यह भी प्रावधान किया गया कि इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है.सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ बोर्ड के पास मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने की असीमित शक्तियां हैं.
इसका सीधा मतलब यह है कि एक धार्मिक बॉडी को असीमित शक्तियां दी गईं, जिसने वादी को न्यायपालिका से न्याय मांगने से भी रोक दिया. लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक संस्था के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं. वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि यदि वक्फ सोचता है कि भूमि किसी मुस्लिम की है तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्त को इस बारे में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि जमीन उनके स्वामित्व में आती है. यहां तक कि मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ संस्था नहीं है और ना ही किसी धार्मिक संस्था के पास असीमित शक्तियां हैं. वक्फ बॉडी ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिंदुओं को कोई भी जमीन वापस नहीं दी. देशभर में एक्ट एक्ट के दुरुपयोग की ऐसी ही खबरें सामने आईं. पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया. पहला संशोधन 1995 में और फिर 2013 में संशोधन किया गया.
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वक्फ कानून में कब-कब हुए बदलाव?
वक्फ एक्ट में कई बार बदलाव किए गए हैं ताकि इसे अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा सके. 1954 में जब वक्फ बोर्ड का गठन हुआ, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. यानी नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया था, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की जमीन केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 के तहत वक्फ बोर्डों को दे दी. 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना हुई. 1995 में कांग्रेस की पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने 1991 के बाबरी मस्जिद विध्वंस की भरपाई के लिए वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव किया और वक्फ बोर्डों को भूमि अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए. 1995 के संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिलीं. वक्फ एक्ट में नए-नए प्रावधान जोड़े. जो संशोधन किया गया, उसमें प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति दी गई. उसके बाद साल 2013 में एक बार फिर संशोधन पेश किए गए और वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई. 2013 में भी देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे.
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