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के. शारदामणि: महिला अध्ययन की पुरोधा समाजशास्त्री
The Wire
स्मृति शेष: देश में महिला और जेंडर संबंधी अध्ययन को बढ़ावा देने वालों में से एक चर्चित समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री के. शारदामणि नहीं रहीं. शारदामणि ने न केवल महिला अध्ययन केंद्रों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी, बल्कि इंडियन एसोसिएशन फॉर विमेंस स्टडीज़ की स्थापना में भी योगदान दिया.
दलित और जेंडर अध्ययन के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए चर्चित समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री के. शारदामणि (1928-2021) का 26 मई, 2021 को निधन हो गया. जाति, जेंडर, श्रम और परिवार जैसे महत्त्वपूर्ण विषय उनके अध्ययन के केंद्र में रहे. उल्लेखनीय है कि बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में के. शारदामणि ने वीणा मजूमदार, लीला दुबे, नीरा देसाई, लतिका सरकार जैसी विदुषियों के साथ मिलकर न केवल भारत में महिला और जेंडर संबंधी अध्ययन को बढ़ावा देने और महिला अध्ययन केंद्रों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई. बल्कि उन्होंने ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर विमेंस स्टडीज़’ की स्थापना में भी योगदान दिया. स्कूली पढ़ाई में पांच साल के व्यवधान के बाद के. शारदामणि ने वर्ष 1949 में तिरुवनंतपुरम स्थित गवर्नमेंट कॉलेज फॉर विमेन में इंटरमीडिएट की कक्षा में दाखिला लिया. ठीक दो साल पहले वर्ष 1947 आज़ाद हुए हिंदुस्तान में तब युवा होती पीढ़ी के सपने कैसे थे. इसकी याद करते हुए के. शारदामणि ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि ‘हम उस समय एक नए हिंदुस्तान का ख़्वाब देख रहे थे, जब ऊंचे आदर्श, सौहार्द और परस्पर लगाव को सर्वाधिक तवज्जो दी जाती थी.’More Related News