
केरल: लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन करेगी पिनराई सरकार, विपक्ष ने विरोध जताया
The Wire
माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन संबंधी निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि यह क़दम नैसर्गिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. विपक्षी यूडीएफ ने राज्यपाल से प्रस्तावित अध्यादेश को मंज़ूरी न देने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार के तर्क झूठे, राजनीति से प्रेरित और देश के क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं.
तिरुवनंतपुरम: केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन संबंधी अपने फैसले को सही ठहराते हुए मंगलवार को कहा कि यह कदम नैसर्गिक न्याय सुनिश्चित करने और इसे संविधान, लोकपाल और अन्य राज्यों में इसी तरह के कानूनों के और अधिक अनुरूप बनाने के लिए उठाया गया है.
वहीं, दूसरी ओर राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन संबंधी वाम सरकार के फैसले का विरोध किया और कहा कि यह लोकायुक्त की शक्तियों को ‘कमजोर’ करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एलडीएफ सरकार में दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी भाकपा के राज्य सचिव कनम राजेंद्रन ने कहा कि संशोधन के लिए अध्यादेश लाने के कदम पर एलडीएफ में कोई राजनीतिक परामर्श नहीं किया गया था.
अध्यादेश पर भाकपा की अस्वीकृति व्यक्त करते हुए, राजेंद्रन ने कहा, ‘लोग अध्यादेश के पीछे की तात्कालिकता के बारे में आश्वस्त नहीं हैं. सरकार अगले महीने होने वाले विधानसभा सत्र में प्रस्तावित संशोधन के लिए एक विधेयक पेश कर सकती थी. यदि विधानसभा में संशोधन के उद्देश्य से कोई विधेयक पेश किया जाता, तो सभी को अपनी राय व्यक्त करने का अवसर मिलता. अध्यादेश ने उस अवसर से इनकार कर दिया है.’