केरल में अब अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कहर, आज से शुरू हो रहा ये बड़ा अभियान
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केरल में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की बीमारी के कारण दहशत का माहौल है. इस बीमारी की चपेट में आने से कई सूअरों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर राज्य सरकार सख्त हो गई है तो स्थानीय प्रशासन भी अलर्ट मोड में है. स्थानीय प्रशासन ने कन्नूर में 200 से अधिक सूअर मारने का फैसला किया है. इसके लिए प्रशासन की ओर से सूअर पालकों को मुआवजे का आश्वासन दिया गया है.
देश की जनता कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही थी कि मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी. लोग इन दो खतरनाक वायरस के खतरे से जूझ रहे थे कि अब मवेशियों और अन्य पशुओं को लेकर भी संक्रामक बीमारियों ने चिंता बढ़ा दी है. राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में जहां लंपी स्किन डिजीज मवेशियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है, वहीं अब केरल में भी पशुओं से संबंधित एक नई बीमारी ने दस्तक दे दी है.
केरल में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना वायरस की महामारी से सबसे अधिक प्रभावित रहे केरल के कन्नूर जिले में बड़ी संख्या में सूअर अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गए हैं. वायनाड जिले के नेनमेनी गांव में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की वजह से 15 सूअर की मौत हो गई थी. अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कारण हो रही मौतों और संक्रमण की तेज रफ्तार को देखते हुए शासन-प्रशासन भी अब एक्टिव मोड में आ गया है.
कन्नूर जिला प्रशासन ने अब इसे लेकर सख्त रुख अपना लिया है. कन्नूर जिला प्रशासन ने सूअर फार्म में पाले गए करीब 200 सूअर मारने का आदेश दिया है. कन्नूर जिला प्रशासन ने सूअर पालकों को ये आश्वासन दिया है कि सूअर मारे जाने की वजह से उन्हें होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी. इसके लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा.
सूअर को लेकर सरकार भी सख्त
सूअर में फैल रहे अफ्रीकन स्वाइन फ्लू को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी सख्त रुख अपना लिया है. प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसे लेकर निर्देश भी जारी किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री की ओर से जारी निर्देश में साफ कहा गया है कि सूअर का मांस या उनसे संबंधित उत्पाद की खरीद-बिक्री पर 1 अगस्त से 30 अगस्त से रोक रहेगी.
रोकथाम की कोशिश में जुटा प्रशासन
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