केन-बेतवा लिंक: शाब्दिक हेरफेर से जोड़े नए निर्माण के प्रावधान, न लागत बताई न पर्यावरण पर प्रभाव
The Wire
दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि केंद्र ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत जल बंटवारे के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की कई ऐसी शर्तों को स्वीकार किया है, जिसके चलते अतिरिक्त संरचनाओं का निर्माण करना होना. नतीजन कुल लागत में बढ़ोतरी होगी और सरकार ने जिस लाभ का दावा किया है, वह झूठा साबित होगा.
(इंटरन्यूज़ के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क के सहयोग से की गई यह रिपोर्ट केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर छह लेखों की शृंखला का पांचवा भाग है. पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा भाग यहां पढ़ सकते हैं.) नई दिल्ली: इस साल मार्च महीने की 22 तारीख को विश्व जल दिवस के मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें सरकार ने अपनी बेहद महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए दो राज्यों के बीच क़रार पर साइन करवाए। इस कार्यक्रम को शुरू करते हुए होस्ट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमामंडन करते हुए कहा गया, ‘विकास की इमारत हम सभी लोग देखते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ऐसा सौभाग्य प्राप्त होता है कि वे नींव का पत्थर भी देख सकें. और आज हम सभी लोगों को ये सौभाग्य मिला है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में हम लोग उस ऐतिहासिक क्षण का साक्षात कर सकें जो आगे चलकर हम सब के लिए नींव का पत्थर बनकर विकास की इमारत बनाएगा.’ इसके बाद जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परियोजना के उस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया, जो पिछले कई सालों विवादों में रहाऔर जिसे विशेषज्ञों ने पर्यावरण को गंभीर खतरा बताते हुए रद्द करने की मांग की.More Related News