केन-बेतवा लिंक: दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे के प्रावधान से असहमत थे जल सचिव
The Wire
जल शक्ति मंत्रालय के पूर्व सचिव यूपी सिंह ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पानी की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए तैयार प्रावधानों पर सहमति नहीं जताई थी. उनका कहना था यदि इसे लागू किया गया तो परियोजना दूसरी दिशा में चली जाएगी और लागत काफी बढ़ जाएगी.
(इंटरन्यूज़ के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क के सहयोग से की गई यह रिपोर्ट केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर छह लेखों की शृंखला का चौथा भाग है. पहला, दूसरा और तीसरा भाग यहां पढ़ सकते हैं.) नई दिल्ली: केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर ‘विनाशकारी’ का ठप्पा लगने के साथ-साथ इसे ‘बेहद लंबित’ प्रोजेक्ट भी कहा जाता रहा है. जहां एक तरफ इसके चलते व्यापक स्तर इकोलॉजिकल (पारिस्थितिक) तबाही होने की संभावनाओं के कारण विभिन्न स्तरों पर व्यापक शोध की मांग की जाती रही, वहीं दूसरी तरफ इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर कई सालों तक विवाद चला है. इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) के पहलू को सरकार ने ज्यादा जरूरी नहीं समझा, इसलिए नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के करीब दो सालों के भीतर इस प्रोजेक्ट को सारी महत्वपूर्व मंजूरियां प्रदान कर दी गईं. हालांकि दोनों राज्यों के बीच जल विवाद का समाधान करने के लिए केंद्र ने अपने और राज्य के अधिकारियों की एक समिति बनाई थी, जिसका काम पानी की जरूरतों का आकलन करना था.More Related News