केन-बेतवा लिंक: केंद्र ने दरकिनार की थी सुप्रीम कोर्ट समिति की दुष्प्रभाव बताने वाली रिपोर्ट
The Wire
बीते मार्च महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विवादित केन-बेतवा लिंक परियोजना संबंधी क़रार पर दस्तख़त किए गए. सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने इस पर गंभीर सवाल उठाए थे, हालांकि दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि मोदी सरकार ने इन्हें नज़रअंदाज़ किया.
(इंटरन्यूज़ के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क के सहयोग से की गई यह रिपोर्ट केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर छह लेखों की शृंखला का पहला भाग है.) नई दिल्ली: जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र को पानी का सपना दिखाते हुए सरकार एक और योजना लागू कर रही है, जिसका नाम केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना है. इस विवादित प्रोजेक्ट को लेकर मोदी सरकार ने इसी साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच एक डील साइन करवाई थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुए इस एग्रीमेंट में सुप्रीम कोर्ट कमेटी की उस रिपोर्ट को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है जिसने योजना की कमियों को उजागर करते हुए केंद्र को अगाह किया था कि यदि इसे लागू किया जाता है तो व्यापक स्तर पर पर्यावरणीय बर्बादी होगी और अनुमान से ज्यादा पैसा खर्च होगा. समिति ने कहा था कि सरकार इस परियोजना के तहत जिन लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहती है, वो बेहतर तरीकों या इस क्षेत्र में निर्मित मौजूदा परियोजनाओं का क्षमता विस्तार करके किया जा सकता है.More Related News