![केजरीवाल को भी डर होगा, कहीं अगला सीएम 'चंपई' न हो जाए । Opinion](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202409/66e826e5beb12-atishi-sunita-gopal-163900466-16x9.jpg)
केजरीवाल को भी डर होगा, कहीं अगला सीएम 'चंपई' न हो जाए । Opinion
AajTak
अरविंद केजरीवाल मंगलवार को रिजाइन करने जा रहे हैं. पर अगला सीएम चुनते वक्त उन्हें बार-बार बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरने का चेहरा याद आ रहा होगा. तो क्या वे दिल्ली में राबड़ी मॉडल को अपनाएंगे?
कुर्सी का खेल बहुत निराला होता है. ये दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से बेहतर और कौन बता सकता है. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ते लड़ते उन्हें कुर्सी इतनी प्यारी हो गई कि दिल्ली की जनता की चिंता किए बगैर उन्होंने जो कुर्सी प्रेम दिखाया वो इतिहास में मिलना मुश्किल होगा. जेल जाने के बाद सीएम के पद से त्यागपत्र देकर उन्होंने भारतीय राजनीतिज्ञों को एक नई राह दिखाई है. हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल इमानदार हों, दिल्ली शराब घोटाले में उनकी भूमिका नहीं के बराबर हो पर उन्होंने एक ऐसी परिपाटी की शुरूआत जरूर कर दी है जिसकी फायदा अतिशय भ्रष्ट लोग ज्यादा करेंगे. ये पहले भी देखा गया है कानून में ढील का फायदा इसलिए जाता है कि आम लोगों को परेशानी न हो, पर उसका गलत इस्तेमाल हमेशा मजबूत लोग अपने फायदे के लिए करते रहे हैं. खैर अरविंद केजरीवाल ने अब अपने पद से त्यागपत्र देने की सोची है. संभवतया कल यानि 17 सितंबर को उनका त्यागपत्र हो जाए. पर उनकी भी जान जरूर अटकी होगी कि जिसे वो दिल्ली सीएम की कुर्सी सौंपेंगे वो उन्हें वापस करेगा या नहीं?
दरअसल देश की राजनीति का इतिहास रहा है कि जब भी लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों ने सत्ता किसी अपने शिष्य टाइप के नेता को सौंपी है उसे दोबारा हासिल करने में उसे पापड़ बेलने पड़े हैं. शायद यही कारण है कि नेताओं को इस संबंध में राबड़ी मॉडल ज्यादा पसंद आता रहा है. चारा घोटाले में जेल जाने के पहले बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था. पर मुश्किल यह है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सामना भारतीय जनता पार्टी से है. राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि अगर अरविंद केजरीवाल अपनी जगह अपनी पत्नी को सुनीता केजरीवाल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित करते हैं तो उनके अब तक किए हुए सारे कार्यों पर पानी फिर जाएगा. दरअसल बीजेपी वंशवाद को लेकर लगातार इंडिया गठबंधन के नेताओं को टार्गेट करती रही है. अरविंद केजरीवाल भी अपनी पार्टी को आम लोगों की पार्टी कहते रहे हैं.यह उनकी छवि के साथ मेल भी नहीं खाता है कि वो अपनी जगह पर अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को सीएम बना दें.
फिलहाल देश में ऐसे भी उदाहरण हैं जब पत्ती ने भी कुर्सी छोड़ने से इनकार कि दिया है. उत्तर प्रदेश में 2017 की योगी सरकार बनने के पहले चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर अभद्र टिप्पणी करके वर्तमान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को चुनाव से हटना पड़ा था. इस मामले में अपने पति के बचाव में मायावती के खिलाफ पीसी करके स्वाति सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में खुद को चमका लिया. पार्टी ने दयाशंकर सिंह की जगह उन्हें विधायक का टिकट दिया. जीतने पर उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया. 2022 में स्वाति सिंह ने अपने पति के लिए अपनी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया. बाद में स्वाति सिंह का टिकट काटकर दयाशंकर सिंह को दिया गया. हालांकि अब पति-पत्नी साथ नहीं रहते हैं. पर यह एक उदाहरण है कि राजनीतिक पदों के लिए पत्नी भी भरोसेमंद नहीं है.
फिलहाल कुछ भी हो आज भी पत्नियां ही अपना पद सौंपने के लिए सबसे सेफ हैं. जिनसे उम्मीद की जा सकती है समय आने पर वो अपना पद अपने पति की सफलता के लिए उन्हें सौंप सकती हैं. अरविंद केजरीवाल किसी भी और को सीएम बनाते हैं उसके चंपई सोरेन या जीतन राम मांझी बनने से इनकार नहीं किया जा सकता.
लोकसभा चुनाव 2014 में करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. नीतीश ने अपनी जगह पर उस वक्त जदयू के ही नेता रहे जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था. जीतन राम मांझी दलित नेता थे, नीतीश को लगता था कि उन्हें सीएम बनाकर दोनों हाथों से लड्डू खाएंगे. उनका सोचना था कि एक तो दलित को सत्ता देकर इस समुदाय अपनी पैठ बढ़ाएंगे और दूसरे जब चाहेंगे उन्हें हटा भी देंगे. जीतन राम मांझी ने कुर्सी छोडने से इनकार कर दिया पर उन्हें हटाने में नीतीश कुमार कामयाबा साबित हुए.पर बाद में जीतन राम मांझी उनके सबसे कट्टर आलोचक बनकर उभरे और अपनी अलग पार्टी भी बना ली. ऐसा ही कुछ झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले अपने खासम खास मंत्री चंपई सोरेन को सीएम बनाया . पर जब उन्हें हटाया गया चंपई को भी न नाराजगी हुई. अब वो बीजेपी के साथ हैं.
आज जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा दिल्ली के सीएम बनने की है वो हैं आतिशी . जिस तरह मांझी ने कुर्सी की राजनीति को दलित राजनीति से जोड़ दिया था उसी तरह आतिशी भी सीएम की कुर्सी को महिला स्वाभिमान से जोड़ सकती हैं. केजरीवाल जब उन्हें हटाना चाहेंगे तो आतिशी नहीं कहेंगी तो भी विपक्ष उन्हें यह कहने को मजबूर कर देगा.फिलहाल इस रेस में अरविंद केजरीवाल ने पहले ही अपने टॉप कंपटीटर्स को बाहर कर रखा है. केजरीवाल ने खुद ही कह दिया है कि मनीष सिसौदिया इस रेस में नहीं हैं. संजय सिंह और राघव चड्ढा पर अब उनका भरोसा कम हुआ है. कैलाश गहलोत पर पहले से ही ईडी के मामले पूछताछ हो चुकी है.गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज के नाम पर केजरीवाल मुहर लगा सकते हैं . पर इस बात की गारंटी क्या है कि इनसे कुर्सी वापस लिए जाने पर चंपई या मांझी नहीं बनेंगे?
![](/newspic/picid-1269750-20250206165538.jpg)
दिल्ली विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में बीजेपी को बड़ी जीत मिलने के संकेत मिल रहे हैं. आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे के अनुसार बीजेपी को 50 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि आम आदमी पार्टी 20 से कम सीटों पर सिमट सकती है.
![](/newspic/picid-1269750-20250206164103.jpg)
दिल्ली दंगों के समय आम आदमी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठे हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने पुलिस स्टेशन का दौरा किया था. भाजपा और कांग्रेस पर आरोप लगे कि वे दंगों के दौरान निष्क्रिय रहे. आम आदमी पार्टी ने अपने कोर वोटर मुस्लिम समुदाय का समर्थन खो दिया है. सर्वे के अनुसार, 83% मुस्लिम वोट आम आदमी पार्टी के पक्ष में थे, जो अब घटकर 20% रह गए हैं.
![](/newspic/picid-1269750-20250206162341.jpg)
अरविंद केजरीवाल ने एग्जिट पोल्स पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा, कुछ एजेंसीज दिखा रही हैं कि गाली गलौज पार्टी की 55 से ज्यादा सीट आ रही हैं. पिछले दो घंटे में हमारे 16 उम्मीदवारों के पास फोन आ गए हैं कि 'AAP' छोड़ के उनकी पार्टी में आ जाओ, मंत्री बना देंगे और हर किसी को 15-15 करोड़ रुपये देंगे.
![](/newspic/picid-1269750-20250206162028.jpg)
अमेरिका से प्रवासी भारतीयों को वापस भेजे जाने के मुद्दे पर विपक्षी सदन में हंगामा कर रहा है. हंगामे के कारण गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इस बीच संसद परिसर में विपक्षी दलों के सांसदों ने प्रदर्शन किया. वे हाथों में तख्ती लिए नजर आए. इसपर लिखा था- बेड़ियों में हिंदुस्तान, नहीं सहेंगे ये अपमान. सांसद हाथ में हथकड़ी लेकर प्रदर्शन करते दिखे.