केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक को मुद्रास्फीति क़ानून को दरकिनार करने में मदद की
The Wire
द रिपोर्टर्स कलेक्टिस को आरटीआई के ज़रिये मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक को साल 2020 में मुद्रास्फीति लक्ष्य से चूकने के लिए जवाबदेही से बचने का मौका दिया.
यह द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को लेकर की जा रही तीन लेखों की शृंखला का दूसरा भाग है. पहला भाग यहां पढ़ें.
नई दिल्ली: सूचना का अधिकार अधिनियम के जरिये द रिपोर्टर्स कलेक्टिव (टीआरसी) को मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि जब देश के केंद्रीय बैंक ने साल 2020 के मुद्रास्फीति लक्ष्य का उल्लंघन किया, तब केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.
गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जनवरी और सितंबर 2020 के बीच लगातार तीन तिमाहियों के लिए मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत की कानूनी रूप से अनिवार्य सीमा के भीतर रखने में असमर्थ रहा था.
भारतीय कानून के तहत, यदि आरबीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे एक महीने के भीतर सरकार को इसका कारण स्पष्ट करना होता है और कीमतों को वापस नियंत्रण में लाने के लिए एक योजना तैयार करनी होती है. इस पारदर्शिता की जरूरत इसलिए है ताकि कारोबार और नागरिक आरबीआई और सरकार की मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने की क्षमता में विश्वास न खो दें.