केंद्र ने कोर्ट से कहा- जजों के लिए राष्ट्रीय स्तर का सुरक्षा बल बनाना व्यवहार्य नहीं होगा
The Wire
सुप्रीम कोर्ट झारखंड के धनबाद में एक न्यायाधीश की कथित हत्या के मद्देनज़र देशभर में न्यायाधीशों और वकीलों की सुरक्षा से जुड़े स्वतः संज्ञान वाले मामले की सुनवाई कर रही है. विभिन्न राज्यों द्वारा जवाब दाख़िल नहीं करने को लेकर नाराज़ शीर्ष अदालत ने मामले में इन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए 10 दिन के अंदर जवाबी हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि देश भर में न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसा राष्ट्रीय स्तर का सुरक्षा बल बनाना व्यवहार्य और उपयुक्त नहीं होगा. विभिन्न राज्यों द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने को लेकर नाराज शीर्ष अदालत ने मामले में इन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि जवाबी हलफनामा 10 दिन के अंदर दाखिल किया जा सकता है. न्यायालय ने कहा कि जुर्माने की यह राशि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) वेलफेयर फंड में जमा करानी होगी और ऐसा नहीं होने पर संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को उसके समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘केरल की ओर से पेश हुए वकील ने समय के लिए अनुरोध किया और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है, जिसके साथ यह शर्त रखी गई है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में अदालत खर्च के तौर पर एक लाख रुपये जमा करना होगा.’More Related News