![केंद्र के अपारदर्शी नीलामी नियमों के चलते सरकार के ख़र्च पर दाल मिल मालिकों को हुआ जमकर मुनाफ़ा](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2017/11/Pulse-Dal-Market-India-Reuters-1.jpg)
केंद्र के अपारदर्शी नीलामी नियमों के चलते सरकार के ख़र्च पर दाल मिल मालिकों को हुआ जमकर मुनाफ़ा
The Wire
दस्तावेज़ दिखाते हैं कि सरकारी खरीद एजेंसी नेफेड द्वारा नीलामी प्रक्रिया में किए गए बदलाव के चलते मिल मालिकों को बीते चार सालों में 5.4 लाख टन कच्ची दाल संसाधित करने के लिए कम से कम 4,600 करोड़ रुपये का लाभ मिला. इसके कारण सरकारी ख़ज़ाना और संभावित तौर पर दाल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई.
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नीलामी प्रक्रिया में बदलाव करने के चलते गरीबों के लिए आवंटित कई टन दाल के जरिये मिल मालिकों की झोली भरी गई है.
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा नीलामी दस्तावेजों की जांच से पता चलता है कि सरकारी खरीद एजेंसी नेफेड, जो कि कल्याणकारी योजनाओं के तहत कच्ची दालों को संसाधित करने के लिए मिल मालिकों को चुनती है, ने साल 2018 से लेकर अब तक एक हजार से अधिक बार नीलामी की है, लेकिन इसमें बेस रेट/बेस प्राइस या न्यूनतम बोली सीमा तय नहीं की गई थी, जिसके चलते मिल मालिकों को अपना लाभ छिपाने का मौका मिला है.
सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध दस्तावेजों और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि इन बोलियों के चलते मिल मालिकों को पिछले चार सालों में 5.4 लाख टन कच्ची दाल को संसाधित (प्रोसेस) करने के लिए कम से कम 4,600 करोड़ रुपये का लाभ मिला है. इसके कारण सरकारी खजाने पर प्रभाव पड़ा और संभवत: दाल की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं रही है.
ये दालें देश भर में कल्याणकारी योजनाओं और रक्षा सेवाओं के लाभार्थियों के लिए थीं.