कुली से IAS अफसर... DM कृष्णैया की कहानी, जिनकी हत्या के जुर्म में आनंद मोहन को हुई उम्रकैद की सजा
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जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद मोहन जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे. दरअसल बिहार सरकार ने पिछले दिनों जेल मैनुअल में जो संशोधन किया है, उससे उन्हें राहत मिलने जा रही है. 1994 में जब जी कृष्णैया की हत्या हुई थी, तब वह गोपालगंज के डीएम थे. उन्होंने कुली के तौर पर काम करना शुरू किया था. इसके बाद अलग-अलग काम करते हुए उन्होंने IAS बनने तक का सफर तय किया था.
बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन सिंह हत्या के एक मामले में फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उन्हें एक जिलाधिकारी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है. इस जिलाधिकारी का नाम जी. कृष्णैया था. जब उनकी हत्या हुई थी, तब वह गोपालगंज के डीएम थे. 35 वर्षीय कृष्णैया की हत्या कैसे हुई? इस सवाल का जवाब जानने के लिए 4 दिसंबर 1994 की तारीख में चलना होगा. उस दिन उत्तरी बिहार का एक कुख्यात गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी. हत्या से मुजफ्फरपुर इलाके में तनाव फैल गया था. लोग सरकार और पुलिस से खासे नाराज थे.
5 दिसंबर को हजारों लोग छोटन शुक्ला का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रहे थे. उसी समय गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया एक विशेष बैठक में शामिल होने के बाद अपने गोपालगंज लौट रहे थे. वह अपनी लालबत्ती वाली सरकारी कार में सवार थे. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि आगे हाइवे पर हंगामा हो रहा है. उनकी कार जैसे ही प्रदर्शनकारियों के करीब पहुंची तो, सरकारी कार देखकर लोग भड़क गए. उन्होंने कार पर पथराव शुरू कर दिया.
जी. कृष्णैया भीड़ को यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि वो गोपालगंज के डीएम हैं, मुजफ्फरपुर के नहीं, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. भीड़ ने उन्हें कार से बाहर खींच लिया और पीट-पीटकर उन्हें मार डाला. इस दौरान किसी ने किसी ने गोली भी मार दी थी. जी. कृष्णैया की इस दर्दनाक हत्या ने बिहार ही नहीं, पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. आरोप था कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था. आनंद मोहन सिंह को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई. 2008 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
मूल रूप से तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले जी. कृष्णैया बिहार कैडर में 1985 बैच के IAS अधिकारी थे. वह दलित समुदाय से आते थे और बेहद साफ सुथरी छवि वाले ईमानदार अफसर थे. वह साल 1994 में ही गोपालगंज के डीएम बने थे. कृष्णैया का जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा था. उन्होंने एक कुली के तौर पर काम करना शुरू किया था. इसके बाद कड़ी मेहनत कर वह आईएएस बने थे.
महबूबनगर के एक भूमिहीन दलित परिवार में कृष्णैया का जन्म हुआ था. उनके पिता कुली थे. उन्होंने परिवार को सपोर्ट करने लिए सबसे पहले अपने पिता के साथ कुली का काम शुरू किया था. हालांकि उन्होंने पढ़ना जारी रखा. इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा. इसके बाद कुछ समय के लिए वह अकैडमिक्स में आ गए. उन्होंने लेक्चरर के तौर पर काम किया. वह यहीं नहीं रुके.
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