किसी मुस्लिम का जवाबदेही मांगना और बतौर पत्रकार काम करना जुर्म नहीं है: मोहम्मद ज़ुबैर
The Wire
साक्षात्कार: चार साल पुराने एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने क़रीब तीन हफ्ते जेल में बिताए. इस बीच यूपी पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि उनकी लगातार हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. उनसे बातचीत.
नई दिल्ली: 39 वर्षीय फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर अब कोई अनजाना नाम नहीं हैं. उनके चार साल पुराने एक ट्वीट को लेकर हुई उनकी गिरफ़्तारी, यूपी पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दायर केस और आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट से मिली ज़मानत के बाद जुबैर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में बने रहे. उनकी ज़मानत के बाद उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.
आज़ादी मुबारक हो. कैसा महसूस कर रहे हैं?
मैं वापस आकर खुश हूं. मेरे साथ खड़े रहे दोस्तों और शुभचिंतकों का शुक्रगुज़ार हूं. यह जानना कि मेरी गिरफ़्तारी को इतने सारे लोगों ने उनकी जिंदगी और आज़ादी पर हमला माना, अभिभूत करने वाला है. मेरा परिवार डरा हुआ था लेकिन प्रतीक और उनकी मां साथ खड़े हुए और उन्हें रोज कॉल करते थे. वो लगातार उनके साथ केस संबंधी अपडेट साझा करते थे और चौबीसों घंटे यूपी की पांच अलग-अलग जगहों और दिल्ली में स्थानीय वकील की व्यवस्था करने की कोशिश में लगे रहते थे.
ऑल्ट न्यूज़ में अपने काम को सुचारु रूप से जारी रखने के अलावा उन्होंने वकीलों को मुक़दमे की तैयारी में भी मदद की. प्रतीक पर भी निशाना साधा गया था लेकिन वे शांत बने रहे. धमकियों के बावजूद हमारे डोनर्स ने साथ नहीं छोड़ा. असल में बीते दो महीनों में बिना किसी अपील के हमें ज्यादा आर्थिक सहयोग मिला है.