![किसान हितों के दावों के बीच मोदी सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2020/07/Pulses-Farmers-Crop-Reuters.jpg)
किसान हितों के दावों के बीच मोदी सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा
The Wire
सरकारी दस्तावेज़ों से पता चलता है कि खरीफ 2020-21 सीजन में सरकार ने 51.91 लाख टन दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें से महज 3.08 लाख टन खरीद हुई है. इसके लिए 10.60 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 1.67 लाख को ही लाभ मिला है.
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘किसान हितैषी’ बताने की होड़ में लगे हुए हैं. मोदी ने भी बीते नौ जून को ट्वीट कर कहा था, ‘अन्नदाताओं के हित में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. कई फसलों के एमएसपी में वृद्धि से किसान भाई-बहनों की आय बढ़ने के साथ उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा.’ हालांकि हकीकत ये है कि जहां एक तरफ केंद्र द्वारा घोषित एमएसपी, कृषि लागत की तुलना में काफी कम होती है, वहीं दूसरी तरफ सरकार जो भी एमएसपी घोषित कर रही है, उसका भी लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा दालें (दलहन) और तिलहन का उत्पादन करने वाले किसानों को उठाना पड़ रहा है.More Related News