
किसान आंदोलन को बढ़ाने के लिए बिठाया गया जातिगत समीकरण, जानें- क्या है नई रणनीति
NDTV India
उन्होंने कहा, “पंजाब और हरियाणा के किसानों को कृषि कानूनों को लेकर जानकारी है. यहां के किसान जागरूक हैं. लेकिन दूसरे राज्यों के किसान कृषि कानूनों को लेकर जागरूक नहीं हैं. अब जरूरत है दूसरे राज्यों के किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की. किसान नेता ने कहा, “मजदूरों को यह समझना चाहिए कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई सिर्फ किसानों के लिए नहीं है. किसान अपना काम करेंगे, लेकिन मजदूर वर्ग को इसका सबसे ज्यादा नुकसान होगा. इसलिए, मैं मजदूर वर्ग से और अधिक योगदान करने का अनुरोध करूंगा.” इसके साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे आगामी पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को वोट न दें.
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की कोशिश है कि इसे और हवा देने के लिए कुछ और समुदायों को भी जोड़ा जाए. इसी सिलसिले में हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला में एक किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. किसानों की यह महापंचायत दलितों को लेकर था. किसान संगठनों की अब कोशिश है कि सरकार को झुकाने के लिए महापंचायतों के जरिए दलित लोगों को भी इससे जोड़ा जाए. जिससे कि देशभर में इस किसान आंदोलन को व्यापक रूप से बढ़ाया जा सके. शनिवार को बरवाला में हुए किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने हिस्सा लिया.More Related News