
किसान आंदोलन का एक साल पूरा; वर्षगांठ मनाने हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे
The Wire
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था. इन क़ानूनों को सरकार ने वैसे तो वापस ले लिया है, लेकिन किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा.
एसकेएम के आह्वान पर की संख्या में किसान पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की तीनों सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पहुंचे हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा किए जाने के बाद गजब का उत्साह है. एक साल का लम्बा संघर्ष बेमिसालथोड़ी खुशी थोड़ा गमलड़ रहे है जीत रहे हैलड़ेंगे जीतेंगेन्यूनतम समर्थन मूल्य कानून किसानों का अधिकार#1YearOfFarmersProtest @AHindinews @dr_anilchaudhry @AFP @sakshijoshii @anjanaomkashyap @PMOIndia @BBCHindi @punjabkesari मोदीजी, आपकी तपस्या में कमी रही होगी परंतु किसान-मजदूर की तपस्या का अंदाजा आप कभी नहीं नहीं लगा सकते। 650 से ज्यादा किसानों की शहादत करवाकर 1 साल तक सड़को पर रखकर भी सिर्फ आधी मांगे मानने वाली सरकार लोकतंत्र का पाठ न पढ़ाये। संविधान दिवस की बधाइयाँ। संविधान व कानून का शासन ही सर्वोच्च है व सभी समस्याओं का हल है। किसान आंदोलन का एक साल Their non violent struggle is a unique saga of valour, patience and determination not only for repealing the draconian laws but also to uphold the ethos of democracy and human rights.(2/2)
इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक प्रभावशाली किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘एक साल का लंबा संघर्ष बेमिसाल, थोड़ी खुशी – थोड़ा गम, लड़ रहे हैं जीत रहे हैं, लड़ेंगे जीतेंगे. न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून किसानों का अधिकार.’ — Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 26, 2021 आज दिल्ली बॉर्डर्स की तस्वीरें बताती है कि किसान-मजदूर अपनी सारी मांगें मनवाकर ही वापस जाएंगे।#1YearOfFarmersProtest pic.twitter.com/LVmfLEWzKN मोदी सरकार व भाजपा अपने गिरेबां में झांके व देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाये। आपकी सरकार के कारण भी लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों में चिंता है। https://t.co/XT5AYX9xdM सबसे पहले आपकी सरकार व अपनी पार्टी का खुद मूल्यांकन करें कि वो सविंधान विरोधी कानून पास करते है। संविधान विरोधी बयानबाजी करते है। संविधान की धज्जियां उड़ाते है। आप खुद अपना सही रास्ता चुने। https://t.co/acLeLuRLWD किसानों के अडिग सत्याग्रह, 700 किसानों की शहादत और निर्मम भाजपा सरकार के अहंकार व अन्नदाताओं पर अत्याचार के लिए जाना जाएगा। — Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) November 26, 2021
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) November 26, 2021 — Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) November 26, 2021 — Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) November 26, 2021 लेकिन भारत में किसान की जय-जयकार हमेशा थी, है और रहेगी।किसानों के संघर्ष की जीत इसका प्रमाण है।
जय किसान। pic.twitter.com/KCWnLNog0B