किसान आंदोलनः छह महीने से डटे किसान, क्यों नहीं निकल रहा समाधान?
BBC
दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान डटे हुए हैं, 11 दौर की वार्ताओं से कुछ हासिल क्यों नहीं हुआ?
26 नवंबर, 2020- पंजाब, हरियाणा, यूपी से हज़ारों किसानों का जत्था दिल्ली बॉर्डर पर पहुँचा, नेशनल हाइवे खोद दिए गए, ठंड की रातों में पानी की बौछार की गई ताकि किसान दिल्ली में दाख़िल न हो सकें. इसके बाद किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर ही केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर बैठ गए. 26 मई साल 2021- मौसम बदल गया, तपती गर्मी आई, आंदोलन के छह महीने और नरेंद्र मोदी के शासनकाल के 7 साल पूरे हुए. किसानों के यूनियन संयुक्त मोर्चा ने 26 मई को 'काला झंडा दिवस' घोषित किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि कृषि कानूनों को लेकर वह किसानों के साथ दोबारा तत्काल संवाद शुरू करे वर्ना आंदोलन तेज़ किया जाएगा. कृषि कानूनों के खिलाफ़ किसानों का ये आंदोलन असल में सितंबर, 2020 से ही पंजाब और हरियाणा में जारी था लेकिन जब किसानों को लगा कि उनकी बात दिल्ली तक नहीं पहुंच पा रही तो नवंबर के आख़िर में किसान दिल्ली के लिए कूच कर गए. बीते छह महीने के अरसे में किसानों ने सड़कों पर लगे तंबुओं और ट्रॉलियों को अपना घर बना लिया है. ये आज़ाद भारत का सबसे बड़ा और लंबा किसान आंदोलन है लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई, इन छह महीनों में आंदोलन के क्या- क्या अहम पड़ाव रहे, पढ़िए इस रिपोर्ट में- 21 मई, 2021 को 40 किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी और तत्काल किसानों के साथ संवाद दोबारा शुरू करने को कहा.More Related News