किसानों के विरोध प्रदर्शन से दुष्यंत चौटाला की विश्वसनीयता पर उठता सवाल
The Quint
farmers Protest: किसानों के विरोध प्रदर्शन (farmers' protest) की वजह से अब तक दो बड़े राजनीतिक नुकसान देखने को मिले हैं. Due to the farmers' protest, two major political losses have been seen
कृषि कानून के विरोध में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन (farmers' protest) की वजह से अब तक दो बड़े राजनीतिक नुकसान देखने को मिले हैं. पहला पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को, वहीं दूसरा नुकसान हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) के चीफ और राज्य के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को हुआ है.उत्तरप्रदेश में अगामी 6 महीने बाद चुनाव होने हैं. इस चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां बीजेपी का जाट बेस तीसरा है या नहीं.आइए अब आते हैं दुष्यंत चौटाला के मुद्दे पर. 28 अगस्त में करनाल में किसान के प्रदर्शन पर हुई पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज की घटना में एक किसान की मौत हो गई. इसके बाद से एक बार फिर दुष्यंत चौटाला को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.इस घटना से जुड़ा एक वीडियो आया था, जिसमें असिस्टेंट डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा पुलिस को 'सिर फोड़ने' का आदेश देते हुए दिखाई दे रहे हैं. हालांकि चौटाला ने उस अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेने का वादा किया था, लेकिन उनके इस वादे से उनकी राजनीति साख की भरपाई नहीं हो सकी. इस मामले में JJP में अंदरुनी तौर पर उनकी निंदा लगातार हो रही है.जेजीपी (JJP) के एक नेता ने द क्विंट से कहा कि "किसानों को लगने वाली हर लाठी दुष्यंत चौटाला के राजनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचाएगी."वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जूनियर ब्यूरोक्रेट का बचाव करते हुए कहा कि "भाषा गलत हो सकती है, लेकिन वहां सख्त कदम उठाने की जरूरत थी." सीएम खट्टर के इस बयान ने आग में घी का काम किया और इससे इस मामले में ज्यादा नुकसान हुआ.जननायक के उत्तराधिकारी से किसानों के "खलनायक" बनने तकअब हम आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं. 2014 की बात है, तब दुष्यंत चौटाला 26 साल के थे और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की टिकट पर हिसार लोकसभा सीट से संसद सदस्य बने थे. उस समय दुष्यंत चौटाला जाट राजनीति के उभरते हुए सितारे थे. यह बात तब और स्पष्ट हो गई जब उसके अगले ही साल हरियाण में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर सिमट गई. जहां एक ओर यह चौटाला के लिए बड़ी जीत थी, वहीं दूसरी ओर यह हुड्डा के लिए किसी झटके से कम नहीं था. हरियाण के अलग-अलग हिस्से से संबंध रखने वाले ह...More Related News