
किल्लत के बीच राज्यों को भेजी जाएगी 6177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन, पीयूष गोयल बोले- कंट्रोल में रखें डिमांड
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कई राज्यों के अस्पतालों में मरीजों को इसके लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से राज्यों के साथ संपर्क साधा गया है और एक दर्जन से अधिक राज्यों को तुरंत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई करने का फैसला किया गया है.
कोरोना के बढ़ते कहर के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन गैस की किल्लत हो रही है. कई राज्यों के अस्पतालों में मरीजों को इसके लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से राज्यों के साथ संपर्क साधा गया है और एक दर्जन से अधिक राज्यों को तुरंत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई करने का फैसला किया गया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी है कि 12 राज्यों के साथ विस्तृत मीटिंग करने के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों की जरूरतों के हिसाब से मैपिंग की है. अलग-अलग राज्यों को 6177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई की जाएगी. सिर्फ कोर नौ सेक्टरों को छोड़कर बाकी सभी इंडस्ट्री को ऑक्सीजन की सप्लाई 22 अप्रैल तक रोक गई है, ताकि अस्पतालों को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. पीयूष गोयल के मुताबिक, कोरोना के आने से पहले भारत में हर दिन 1000-1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत होती थी, लेकिन 15 अप्रैल को 4,795 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्जीजन का इस्तेमाल हुआ है. देश में हमारी प्रोडक्शन भी काफी बढ़ गई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड कंट्रोल में रखनी चाहिए. डिमांड साइड का मैनेजमेंट भी जरूरी है, जैसे सप्लाई साइड का मैनेजमैंट. कोरोना के संकट को थामना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, उन्हें इसका पालन करना चाहिए. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक, जो ऑक्सीजन सप्लाई केंद्र द्वारा हो रही है उसमें सबसे अधिक महाराष्ट्र को 1500 मीट्रिक टन, दिल्ली को 350 मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश को 800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस मिलने जा रही है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी, बिहार समेत देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है. कई अस्पताल मरीजों को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं कर रहे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन नहीं है. कुछ जगह मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. यही कारण है कि ऑक्सीजन को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक एक्टिव हैं.
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