
किच्चा सुदीप के समर्थन से बीजेपी को कितना फायदा? क्या कहता है कन्नड फिल्म इंडस्ट्री का ट्रैक रिकॉर्ड
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कर्नाटक की राजनीति में फिल्म स्टार्स की अपनी एक जगह है. किच्चा सुदीप ने जब से ऐलान किया है कि वे बीजेपी का समर्थन करने वाले हैं, चर्चा तेज है कि कन्नड फिल्म इंडस्ट्री राजनीति में कितनी सक्रिय है, इसका पॉलिटिक्स में सक्सेस रेट कैसा रहा है?
कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सुपरस्टार किच्चा सुदीप का समर्थन मिला है. वह चुनाव तो नहीं लड़ने वाले हैं, लेकिन अपने 'बसवराज मामा' की मदद करने का ऐलान कर चुके हैं. सीएम ने मीडिया से बात करते हुए कह दिया है कि किच्चा सुदीप के समर्थन से बीजेपी को चुनाव के दौरान जबरदस्त फायदा होगा. बड़े स्टार हैं, इस बात में कोई शक नहीं, तगड़ी फैन फॉलोइंग है, ये भी जगजाहिर है. लेकिन क्या उनका चेहरा बीजेपी को वोट दिलवा सकता है? इस सवाल का जवाब कर्नाटक की राजनीति और वहां पर कन्नड फिल्म इंडस्ट्री की सक्रियता से समझा जा सकता है.
तमिलनाडु का सफल एक्सपेरिमेंट
तमिलनाडु की रानजीति की जब बात होती है तो तीन नाम सभी के जहन में तुरंत आ जाते हैं. मरुथुर गोपालन रामचंद्रन यानी कि MGR, एम करुणानिधि और एस जयललिता. तीनों ही तमिलनाडु के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं, राजनीति में अपनी ऐसी छाप छोड़ी है कि उन्हें 'महान' नेताओं की श्रेणी में भी रखा जाता है. लेकिन इन तीनों ही दिग्गजों के साथ एक बात और कॉमन है, वो है इनका फिल्मी कनेक्शन. करुणानिधि बेहतरीन फिल्म राइटर रहे हैं, एमजीआर 'हीरो नंबर 1' कहे जाते रहे हैं और जयललिता मशहूर अभिनेत्रियों में शुमार रही हैं. यानी कि इन तीन नेताओं ने फिल्म इंडस्ट्री का राजनीति के साथ सफल संगम किया है.
कन्नड फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति, कैसी सियासत?
अब बात ये तमिलनाडु की थी, लेकिन क्या कर्नाटक में भी राजनीति ऐसी ही चलती है, क्या यहां भी फिल्मी स्टार बड़े राजनेता बन जाते हैं, क्या यहां भी एक फिल्म स्टार का चेहरा किसी दल को आसानी से वोट दिलवा जाता है? इस सवाल का जवाब हां है. कर्नाटक की राजनीति में कुछ कलाकारों ने नाम तो कमाया, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है. सबसे बड़े कन्नड स्टार जो राजनीति में भी सफल रहे वो अंबरीश थे. उन्होंने 1994 में कांग्रेस ज्वाइन कर राजनिति में अपना डेब्यू किया था. लेकिन तब दो साल बाद ही जब चुनाव के दौरान उन्हें टिकट नहीं दिया गया, उन्होंने जेडीएस का दामन थाम लिया. मांड्या लोकसभा सीट से 1998 में उन्होंने जीत भी दर्ज की. बाद में जेडीएस से भी उनका मोह भंग हुआ और वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने उन्हें यूपीए की पहली सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री बनाया था.
अंबरीश ने दिखाई थी ताकत, रम्या भी बनीं बड़ी खिलाड़ी

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