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कासिम सुलेमानी, मोहम्मद रजा ज़ाहेदी की टारगेट कीलिंग और अब राष्ट्रपति रईसी की मौत... ईरानी नेताओं की डेथ पर जब उठे सवाल!
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ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के पीछे की वजह इजरायल के अलावा सत्ता और सियासत को भी माना जा रहा है. लेकिन ये ऐसा कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले जनरल कासिम सुलेमानी और मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत को लेकर भी तमाम तरह के सवाल उठे थे.
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (President Ibrahim Raisi) की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. उनका हेलिकॉप्टर रविवार को क्रैश हो गया था. इस हादसे में ईरान के विदेश मंत्री होसैनी अमीर अब्दुल्लाहियान भी मारे गए. राष्ट्रपति रईसी रविवार को अजरबैजान प्रांत में एक डैम का उद्घाटन करने पहुंचे थे. जिन हालातों में ये हादसा हुआ, उस पर सवाल भी उठ रहे हैं. कुछ लोग इसके पीछे इजरायल और अमेरिका का हाथ होने का इल्जाम लगा रहे हैं. तो कुछ इस हादसे की वजह सत्ता और सियासत को भी मान रहे हैं. लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले कासिम सुलेमानी और मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत को लेकर भी तमाम तरह के सवाल उठते रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कासिम सुलेमानी और मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत से जुड़ी कहानी.
कौन थे मोहम्मद रजा जाहेदी? मोहम्मद रजा जाहेदी का जन्म 1960 में हुआ था. 1980 में जाहेदी आईआरजीसी में शामिल हो गए थे. कुद्स फोर्स के प्रमुख कमांडर होने के नाते वह आईआरजीसी ऑपरेशन के उप प्रमुख थे. साल 2005 से 2006 तक उन्होंने आईआरजीसी की वायु सेना और 2006 से 2008 तक ग्राउंड फोर्स के कमांडर के रूप में भी काम किया था. वो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कुद्स फोर्स (IRGC-QF) में एक शीर्ष अधिकारी थे. हालांकि अमेरिका IRGC की कुद्स फोर्स को एक आतंकवादी संगठन मानता है. जाहेदी कथित तौर पर सीरिया और लेबनान में यूनिट का संचालन करते थे और वहां ईरानी मिलिशिया और हिजबुल्ला के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी उनके पास थी. इस तरह वह दोनों देशों में ईरानी बलों के सबसे वरिष्ठ कमांडर थे. इजरायली आर्मी रेडियो के मुताबिक, जाहेदी ने सीरिया, लेबनान और फिलिस्तीनी क्षेत्र से इजरायल के खिलाफ सभी ईरानी आतंकवादी अभियानों का संचालन किया था.
मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत इसी साल 2 अप्रैल के दिन सीरिया में मौजूद ईरानी दूतावास के नजदीक इजरायल ने एक बड़ा हवाई हमला किया था. जिसमें इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में आईआरजीसी फोर्स के एक वरिष्ठ कमांडर मोहम्मद रजा जाहेदी की हत्या कर दी थी. हालांकि इजरायल ने इस हमले पर कोई टिप्पणी नहीं की थी. इजरायली सेना ने ईरानी दूतावास के कांसुलर अनुभाग पर स्टील्थ एफ-35 लड़ाकू जेट से छह मिसाइलें दागीं थीं, इस हमले में जाहिदी की मौत हो गई थी.
जाहेदी समेत सात लोगों की मौत उस वक्त रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हमला इतना भीषण था कि दूतावास परिसर में एक इमारत समतल हो गई थी. कहा जाता है कि इस हमले के बाद मध्य पूर्व में टकराव बढ़ेगा जो इजरायल को ईरान और उसके सहयोगियों के खिलाफ खड़ा कर देगा. ईरानी मीडिया ने उस वक्त दावा किया था कि हमले में आईआरजीसी के ही सात सदस्यों की मौत हो गई है, जिनमें सीरिया में उनके सबसे वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और उनके डिप्टी मोहम्मद हज रहीमी शामिल थे.
जाहेदी के साथ मारे गए थे 13 लोग इजरायली लड़ाकू विमानों ने 2 अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में मौजूद ईरानी वाणिज्य दूतावास की इमारत पर हमला किया था, जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में जनरल मोहम्मद रजा ज़ाहेदी भी शामिल थे, जो ईरानी कुद्स फोर्स के एक वरिष्ठ कमांडर थे. हमले के बाद चार इज़रायली अधिकारियों ने द न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करते हुए पुष्टि कर दी थी कि उस हमले के पीछे इज़रायल का हाथ था.
ऐसे आया था इजरायल और अमेरिका का नाम जाहेदी के मौत के बाद बवाल बढ़ने पर अमेरिका ने कहा था कि वरिष्ठ ईरानी सैन्य कमांडर सीरिया में एक संदिग्ध इजरायली हवाई हमले में मारा गया है, उसने इस्लामिक गणराज्य के लेबनानी आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला के समर्थन में अहम भूमिका अदा की थी. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने साल 2010 में मोहम्मद रजा ज़ाहेदी पर प्रतिबंध लगा दिया था. विभाग के मुताबिक, वह हिजबुल्ला और सीरियाई खुफिया सेवाओं के लिए जानकारी जुटाने का काम करता था. मोहम्मद रजा जाहेदी पर हिजबुल्ला को हथियार शिपमेंट की गारंटी देने का आरोप लगा था.
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आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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रेखा गुप्ता ने बुधवार शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का दावा पेश किया. उनके साथ राज्य भाजपा पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, शहर भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत भी थे. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा भी राज निवास में मौजूद थे.
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रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.
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रेखा गुप्ता का नाम दिल्ली की CM के रूप में चुना गया है, जो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री और BJP की दूसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है. बीजेपी ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का संदेश दिया है. रेखा गुप्ता कल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
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महाकुंभ में अब तक 53 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं और मुख्यमंत्री का अगला लक्ष्य 60 करोड़ का है. इतने बड़े आयोजन में व्यवस्था और सुरक्षा का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती है. सोचिए, इतनी विशाल संख्या में लोग कैसे इस आयोजन में शामिल होते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान व्यवस्थाओं का कितना महत्व होता है.
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अलका लांबा ने 1995 में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी. वहीं, रेखा गुप्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से महासचिव चुनी गई थीं. उस समय दोनों युवा नेता छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बना रही थीं. अब, सालों बाद रेखा गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.