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काला सोमवार, संभला मंगलवार...शेयर में पैसे लगानेवालों के लिए संदेश क्या है
BBC
सोमवार को बॉम्बे शेयर बाज़ार का सेंसेक्स लहूलुहान था तो मंगलवार को बाज़ार ज़ख़्मों पर मरहम लगाता दिखा. दलाल स्ट्रीट की चाल से नए निवेशक क्या सीख सकते हैं. ये मौका है या मुसीबत - आइए जानते हैं.
बाज़ार में भगदड़... काला सोमवार... दलाल स्ट्रीट बनी हलाल स्ट्रीट... सेंसेक्स और निफ्टी लहूलुहान - यह सारी बातें सोमवार के बाज़ार पर चिपकाई जा सकती हैं. सुबह बाज़ार खुलने के कुछ ही मिनटों के भीतर निवेशकों के क़रीब सवा पांच लाख करोड़ रुपए हवा हो चुके थे.
दोपहर होते होते यह आंकड़ा नौ लाख करोड़ पर पहुंच गया और बाज़ार बंद होने तक का अनुमान है क़रीब 6.81 लाख करोड़ रुपए का. यह सारी रक़म न किसी की जेब से निकली न किसी की जेब में गई, मगर इसे सांकेतिक या नोशनल नुकसान कहा जाता है.
यानी शुक्रवार को बाज़ार बंद होते वक्त भारत के बाज़ार में सारे शेयरों की कुल मिलाकर जो क़ीमत थी, उसके मुकाबले सोमवार की सुबह दोपहर और शाम को इन शेयरों के दाम गिरने की वजह से उसमें कितनी कमी आई यह उसका आंकड़ा था.
लेकिन रात गई तो बात गई. मंगलवार की सुबह फिर तेज़ी के साथ हुई, यानी वही पौने सात लाख करोड़ रुपए का घाटा अब कहां गया पता नहीं.
जिन लोगों ने न ख़रीदा न बेचा, उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ा. लेकिन फिर भी जिसने भी अपना पोर्टफोलियो खोलकर देखा, उसे कुछ न कुछ झटका तो लगा ही होगा. और यहीं पहला सबक भी है.