काफी रियल- भारत में हाथ से मैला ढोने वालों को मौत के बाद भी सम्मान नहीं
The Quint
Kaafi Real: केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले पांच सालों में हाथ से मैला ढोने से कोई मौत नहीं हुई. Centre said there was no death due to manual scavenging in the last five years.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने 28 जुलाई को राज्यसभा में कहा कि पिछले पांच सालों में हाथ से मैला ढोने से कोई मौत नहीं हुई.खामियों या डेटा की कमी के जरिये, बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने समय-समय पर खुद को जवाबदेही से मुक्त किया है. हाथ से मैला उठाने वालों की मौत पर सरकार का ताजा बयान यही दिखाता है.(ग्राफिक: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी)सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने फरवरी 2021 में लोकसभा में खुद बताया था कि पिछले पांच सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने के दौरान 340 लोगों की मौत हो गई है.लेकिन क्योंकि सरकार नियमित रूप से सफाई या रखरखाव के लिए सेप्टिक टैंक और सीवर में उतरने वाले लोगों को मैला ढोने के रूप में नहीं मानती है, इसलिए उनकी मौत को ध्यान में नहीं रखा जाता है.2020 में इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (EPW) में पब्लिश्ड एक रिसर्च पेपर के मुताबिक, भारत में 12 लाख हाथ से मैला ढोने वालों में से 95-98 प्रतिशत महिलाएं हैं.(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)ADVERTISEMENT...More Related News