कानपुर के ज्योति हत्याकांड में पति और प्रेमिका समेत 6 दोषी करार, इन्होंने रची थी साजिश
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कानपुर में 8 साल पहले हुए ज्योति हत्याकांड में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. इस केस में 6 लोग दोषी करार दिए गए हैं. ज्योति के पिता शंकर नाग देव ने कोर्ट के निर्णय पर खुशी जताते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है. दरअसल, हत्या के बाद ज्योति के पति पीयूष ने पुलिस को बताया था कि ज्योति का अपहरण हो गया है, इसके 2 घंटे बाद ही पनकी में ज्योति का खून से लथपथ शव मिला था.
कानपुर के 8 साल पुराने चर्चित ज्योति हत्याकांड में अपर जिला जज प्रथम की अदालत ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस मामले में ज्योति के पति पीयूष, उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा के अलावा उसके ड्राइवर अवधेश और हत्या में शामिल रहे आशीष, सोनू और रेनू को दोषी करार दिया है.
पुलिस को सही सूचना न देने के आरोपी पीयूष के भाइयों और मां को पर्याप्त साक्ष्य न होने के आधार पर बरी कर दिया गया है. मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी पीयूष के पिता ओमप्रकाश की मौत हो चुकी है. पांडुनगर निवासी बिस्कुट व्यापारी ओमप्रकाश श्यामदासानी की बहू ज्योति श्यामदासानी की 27 जुलाई 2014 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी.
ज्योति के पति पीयूष ने स्वरूप नगर थाने में ज्योति के अपहरण की कहानी सुनाई थी. लगभग 2 घंटे बाद पनकी में ज्योति का खून से लथपथ शव मिला था. पीयूष की कहानी पर विश्वास ना होने पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो सामने आया कि पीयूष ने ही अपनी प्रेमिका मनीषा मखीजा के साथ ज्योति की हत्या की साजिश रची थी. इतना ही नहीं, पीयूष ने इस वारदात को लूट और अपहरण में तब्दील करने की भी साजिश रची थी.
पुलिस ने पीयूष, उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा, मनीषा के ड्राइवर अवधेश कुमार चतुर्वेदी, पीयूष से सुपारी लेकर हत्या की साजिश रचने वाले आशीष कश्यप, सुपारी किलर रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया और सोनू कश्यप के अलावा पुलिस को सही जानकारी न देने के आरोप में पीयूष के पिता ओमप्रकाश, मां पूनम और दो भाइयों मुकेश और कमलेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट कोर्ट भेजी थी.
रेनू और सोनू के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया था. रेनू के पास से पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू और ज्योति के गहने बरामद किए थे. अवधेश, रेनू और सोनू घटना के बाद से जेल में बंद हैं, जबकि बाकी आरोपियों को जमानत मिल गई थी.
ज्योति के पिता शंकर नाग देव ने कोर्ट के निर्णय पर खुशी जताते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है. लंबे संघर्ष के बाद उनकी बेटी को न्याय मिला है. वहीं शासकीय अधिवक्ता दामोदर मिश्रा ने कहा कि वह कोर्ट के सामने इस जघन्य अपराध के लिए आरोपियों को फांसी देने की मांग करेंगे.
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