कांग्रेस नेता कौस्तुभ बागची को कोर्ट से जमानत, CM पर विवादित बयान देने के आरोप में अरेस्ट हुए थे
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर विवादित बयान देने के मामले में कोलकाता पुलिस ने कौस्तुभ बागची को गिरफ्तार किया है. हालांकि, शनिवार को कोर्ट ने जमानत दे दी. मामले में अगली सुनवाई 5 अप्रैल हो होगी. बागची ने कहा कि वे तब तक बाल मुंडवाते रहेंगे, जब तक पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर नहीं कर देते.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रवक्ता कौस्तव बागची को कोर्ट से जमानत मिल गई है. बागची को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ विवादित टिप्पणी के आरोप में शनिवार तड़के कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस ने बागची के आवास पर छापा मारा था. वहीं, पुलिस की कार्रवाई पर विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं और ममता सरकार को घेरा है. बीजेपी, कांग्रेस नेताओं ने कार्रवाई की निंदा की है.
बताते चलें कि कोस्तव बागची कलकत्ता हाई कोर्ट में वकील में हैं और उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर के रहने वाले हैं. उन पर कोलकाता के बर्टोला पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है. बागची ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पर निजी हमले किए जाने पर मुख्यमंत्री की आलोचना की थी. उन्होंने शुक्रवार को टीएमसी के पूर्व विधायक द्वारा बनर्जी के बारे में लिखी गई एक विवादास्पद किताब को पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में और फिर टीवी शो में प्रसारित करने की धमकी दी थी.
एक हजार रुपए के मुचलके पर जमानत
पुलिस ने बागची पर धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 354ए (यौन उत्पीड़न), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (दुश्मनी पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (एक महिला की मर्यादा का अपमान करने के इरादे से बयान) के तहत केस दर्ज किया था. बैंकशाल कोर्ट में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने पर उन्हें 1,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई. अदालत ने उन्हें सप्ताह में एक बार जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया है.
'वकील को सुबह-सुबह अरेस्ट क्यों किया?'
अभियोजन पक्ष ने साजिश में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पूछताछ के लिए बागची की 10 मार्च तक पुलिस हिरासत की मांग की. जमानत के लिए प्रार्थना पत्र में बागची की ओर से सवाल किया गया कि एक वकील को पुलिस ने नोटिस देने के बजाय सुबह-सुबह उसके आवास से गिरफ्तार क्यों कर लिया. उनके वकीलों ने अदालत से कहा कि गिरफ्तारी आवश्यक नहीं थी, क्योंकि प्राथमिकी में उनके खिलाफ सात साल से अधिक की सजा का प्रावधान नहीं है.
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