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कांग्रेस का मेनिफेस्टो ड्राफ्ट तैयार, लागू कर सकती है सच्चर कमेटी की सिफारिशें
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कुछ महीनों बाद देश में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषणापत्र का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक पार्टी अपने मेनिफेस्टो में सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करने का वादा कर सकती है.
आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के लिए कांग्रेस अपने घोषणापत्र का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय को भी लुभाने की कोशिस की है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में सच्चर कमेटी (Sachar Committee) की सिफारिशों को लागू कर सकती है. हालांकि, सच्चर कमेटी को मेनिफेस्टो में शामिल करने पर अंतिम फैसला कांग्रेस वर्किंग कमेटी के द्वारा पारित होना अभी बाकी है.
क्या है सच्चर कमेटी रिपोर्ट? सच्चर कमेटी मार्च 2005 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बनाई गई सात सदस्यों वाली उच्च स्तरीय कमेटी थी. यह कमेटी भारत में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर स्टडी करने के लिए बनाई गई थी. सच्चर कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सच्चर ने की थी.
9 मार्च, 2005 को मानवाधिकारों के जाने-माने समर्थक जस्टिस राजिंदर सच्चर के नेतृत्व में कमेटी का गठन हुआ था. इस कमेटी में सच्चर के अलावा शिक्षाविद् और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सैयद हामिद, सामाजिक कार्यकर्ता जफर महमूद भी थे. अर्थशास्त्री एवं नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के सांख्यिकीविद् डॉ. अबुसलेह शरीफ इस कमेटी के सदस्य सचिव थे.
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सैकड़ों पेज की रिपोर्ट
403 पेज की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को 30 नवंबर, 2006 में लोकसभा में पेश की गई थी. आजाद भारत में यह पहला मौका था, जब देश के मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक हालात पर किसी सरकारी कमेटी द्वारा तैयार रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी. सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में ही कहा है कि भारत में मुसलमानों के बीच वंचित होने की भावना काफी आम है, देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति के विश्लेषण के लिए आजादी के बाद से किसी तरह की ठोस पहल नहीं की गई है. सच्चर कमेटी में सामने आया था कि मुसलमानों का एक वर्ग एससी/एससी से भी बहुत पीछे है.
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