कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द तो अन्य 8 ने वापस लिए नाम... सूरत में निर्विरोध जीत से लोकसभा चुनाव में यूं खुला BJP का खाता
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गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर मतदान तीसरे चरण में यानी 7 मई को होना है, जिसके लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 19 अप्रैल थी और नामांकन वापस लेने का तारीख 22 अप्रैल है. राज्य की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी समेत कुल 11 प्रत्याशियों ने अपना पर्चा भरा था.
तीन दिन बाद लोकसभा चुनाव की दूसरे चरण की वोटिंग होनी है. वहीं 4 जून को आने वाले चुनाव के नतीजों से पहले ही इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खाता खुल गया है. कारण, सूरत लोकसभा सीट पर अब चुनाव ही जरूरत ही नहीं है. सूरत में बीजेपी के मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत हो गई है. हुआ ये कि कांग्रेस के उम्मीदवारों का नामांकन रद्द होने के बाद अब बाकी बचे 8 उम्मीदवारों ने भी अपनी उम्मीदवारी वापिस ले ली है. ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध चुन लिए गए हैं. चुनाव आयोग ने उन्हें जीत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है. यह पहली बार है जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कोई सांसद निर्विरोध चुना गया हो. उधर, कांग्रेस ने इसे मैच फिक्सिंग बताया है.
दरअसल, गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर मतदान तीसरे चरण में यानी 7 मई को होना है, जिसके लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 19 अप्रैल थी और नामांकन वापस लेने का तारीख 22 अप्रैल है. राज्य की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी समेत कुल 11 प्रत्याशियों ने अपना पर्चा भरा था. बीजेपी से मुकेश दलाल, कांग्रेस के निलेश कुम्भानी, बसपा से प्यारेलाल भारती, सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी से अब्दुल हामिद खान, ग्लोबल रिपब्लिकन पार्टी से जयेश मेवाडा, लोग पार्टी से सोहेल खान ने नामांकन किया था. इनके अलावा अजीत सिंह उमट, किशोर डायानी, बारैया रमेशभाई और भरत प्रजापति निर्दलीय चुनावी मैदान में थे. इनके अलावा कांग्रेस ने अपने वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला को भी नामांकन कराया था, लेकिन उसे भी प्रस्तावकों के कारण खारिज कर दिया गया.
बीजेपी की शिकायत के बाद कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा प्रस्तावकों की वजह से खारिज हो गया. इसके बाद बचे हुए अन्य 8 उम्मीदवारों ने भी अपनी दावेदारी वापस ले ली. निलेश कुम्भानी का नामांकन खारिज होने के बाद ही चर्चा शुरू हो गई थी कि अन्य सभी उम्मीदवार अपनी दावेदारी वापस ले लेंगे. इसको लेकर अलग-अलग कयास भी लगाए जा रहे थे. सभी की निगाहें बसपा उम्मीदवार प्यारेलाल भारती पर टिकी थीं, लेकिन अन्य उम्मीदवारों की तरह उन्होंने भी आखिरकार अपना नामांकन वापस ले लिया और बीजेपी के इस सीट पर सीधी जीत तय कर दी. सूरत लोकसभा सीट पर 1989 से ही बीजेपी का कब्जा रहा है. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई यहां से 5 बार सांसद रहे थे.
कांग्रेस उम्मीदवार का यूं खारिज हुआ पर्चा
बता दें कि गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी INDIA गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही हैं. इस क्रम में सूरत से कांग्रेस ने निलेश कुम्भानी को गठबंधन का प्रत्याशी घोषित किया था. लेकिन वह चुनाव अधिकारी के समक्ष अपने तीन में से एक भी प्रस्तावक को मौजूद नहीं रख पाए थे, जिसके बाद चुनाव अधिकारी ने निलेश कुम्भानी का नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया था. बीजेपी ने कांग्रेस के कैंडिडेट निलेश कुम्भानी के फॉर्म में उनके तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर को लेकर सवाल उठाए थे. कांग्रेस उम्मीदवार के प्रस्तावक में उनके बहनोई, भांजे और भागीदार के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया था लेकिन तीनों प्रस्तावकों ने चुनाव अधिकारी के सामने रविवार को एफिडेविट दाखिल कर कहा था कि निलेश कुम्भानी के फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं, जिसके बाद से तीनों प्रस्तावक गायब हो गए थे. और कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो गया था.
इतना ही नहीं, सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन भी आयोग ने रद्द कर दिया. रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि कुम्भानी और पडसाला द्वारा जमा किए गए नामांकन फॉर्म पर तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सही नहीं पाए गए. इसके चलते दोनों उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म रद्द कर दिए गए हैं. इस पर कांग्रेस पार्टी के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया, "निलेश कुम्भानी और सुरेश पडसाला के नामांकन फॉर्म खारिज कर दिए गए हैं क्योंकि चार प्रस्तावकों ने कहा कि फॉर्म पर हस्ताक्षर उनके नहीं हैं."
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