
क़ानून को छोड़कर न्यायाधीशों को बाकी सभी प्रभावों से मुक्त रहना चाहिए: जस्टिस गोविंद माथुर
The Wire
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने रिटायर होने के बाद अपने विदाई भाषण में कहा कि एक सभ्य भारत के लिए यह हम सब की ज़िम्मेदारी है कि न्यायपालिका को मज़बूत करें.
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर मंगलवार को सेवानिवृत्त हो गए. इस दौरान अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि एक सभ्य भारत के लिए यह हम सब की जिम्मेदारी है कि न्यायपालिका को मजबूत करें. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस माथुर ने कहा कि ‘स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए, न्यायाधीशों को कानून को छोड़कर हर प्रभाव से मुक्त रहना चाहिए.’ जस्टिस माथुर ने कहा कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए संविधान एक मजबूत आधार प्रदान करता है. उन्होंने कहा, ‘यह न केवल न्यायाधीशों बल्कि वकीलों, जो न्याय दिलाने की प्रणाली के दूसरे स्तंभ हैं, को भी उपयुक्त न्यायिक चरित्र प्रदर्शित करना चाहिए. ईमानदारी, धैर्य, खुला दिमाग, समझ, करुणा, विनम्रता और शिष्टाचार के गुण न्यायाधीशों के व्यक्तित्व के साथ-साथ वकीलों में भी अनिवार्य हैं.’More Related News