![कहानी कोटा की: जिस गर्दन पर पूजा का धागा भी हल्के हाथों से बांधती, उसपर फंदे का निशान था](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202307/cover_-sixteen_nine.jpg)
कहानी कोटा की: जिस गर्दन पर पूजा का धागा भी हल्के हाथों से बांधती, उसपर फंदे का निशान था
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जाने से पहले बेटे ने खूब शॉपिंग की. नया बैग, नए कपड़े खरीदवाए. डॉक्टर बनने गया था, लेकिन सवा महीने में ही उसका मुर्दा शरीर लौटा. जिस गले पर गंडे-तावीज भी हल्के हाथों से बांधती, उसपर फंदे का गहरा-काला निशान. 'उन लोगों' ने मिलकर मेरे बच्चे को मार दिया!
11 मई को कुन्हाड़ी के एक हॉस्टल में 16 साल के उमेश वर्मा ने फांसी लगा ली. वे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी कर रहे थे. एक रात पहले कई बार फोन करने पर भी जब जवाब नहीं आया, तो अगली सुबह वहीं रहने वाले एक रिश्तेदार को भेजा गया. दरवाजा तोड़ने पर उमेश का शरीर फंदे से झूलता दिखा. आसपास हर कमरे में कोई न कोई रहता है, लेकिन किसी को भनक तक नहीं हुई. इसी साल 15 मौतें हो चुकी, जिनमें से 9 आत्महत्याएं मई-जून और 1 जुलाई की है. ज्यादातर मामलों का पता घंटों बाद लग सका.
कोटा में ये नया नहीं. न ही इन्हें रोकने के 'दावे' नए हैं.
शहर के किसी भी इलाके में जाइए, जहां कोचिंग संस्थान हैं. पढ़ाई के विज्ञापन के अलावा जो एक चीज कॉमन दिखेगी, वो है हेल्पलाइन नंबर.
कई नंबर हैं, जो 24*7 बच्चों के दुख-तकलीफें सुनने का दावा करते हैं. बीच-बीच में खास स्टूडेंट्स के लिए बनी चौकियां हैं, जहां पुलिसवाले मुस्तैद रहते हैं. यहां तक कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के पास भी बड़ी-बड़ी डिग्रियों वाले मनोवैज्ञानिक हैं, जो दिमाग खोले बगैर सबकुछ पढ़ लें. इसके बाद भी आत्महत्याएं हो रही हैं.
क्यों? ये पूछने पर शहर दाएं-बाएं झांकता है. एक ने झींकते हुए कहा- इतने लाख स्टूडेंट आते हैं. दो-चार खप भी गए तो क्या! आप दिल्लीवालों को अपनी छोड़ सबकी फिक्र रहती है.
डेढ़ दिनों तक मैं कोटा के हर कोने में भटकती रही. बच्चों से मिली. पेरेंट्स के पास गई. पुलिस थाने और काउंसलरों के चक्कर काटे. मीडिया सुनते ही लोगों ने बात करने से इनकार कर दिया. कुछ ने ऑफ-कैमरा बात की. तो ज्यादातर ने सारा इलजाम पेरेंट्स और बच्चों पर डाल दिया.
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आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं यह रेलवे का कुप्रबंधन है जिसके कारण इतने लोगों की जान चली गई. रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. कुंभ पर सवाल पूछे जाने पर पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि 'कुंभ का क्या कोई मतलब है, फालतू है कुंभ.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई, जिसमें 9 महिलाएं और कई बच्चे शामिल हैं. स्टेशन पर बिखरे सामान, जूते और कपड़े इस घटना की गवाही दे रहे हैं. भगदड़ के दौरान लोग जान बचाने के लिए सीढ़ियों और एस्केलेटर पर दौड़ पड़े. प्लेटफॉर्म पर सीमित जगह के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई. देखें वीडियो.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ पर रेलवे का बयान सामने आया है. नॉर्दर्न रेलवे के CPRO हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार, प्लेटफॉर्म 14-15 के बीच फुटओवर ब्रिज की सीढ़ियों पर एक यात्री के फिसलने से भगदड़ मच गई. उन्होंने बताया कि इस समय प्लेटफॉर्म 14 पर मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म 15 पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी. देखें वीडियो.
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प्रयागराज में संगम स्नान के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जाने वाली ट्रेनों में जबरदस्त दबाव देखने को मिल रहा है. हालात को संभालने के लिए RPF और GRP की टीम तैनात है, लेकिन यात्रियों की भारी भीड़ के कारण प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ के बाद तस्वीरें सामने आई हैं. अपनी जान बचाने के लिए कई लोगों ने फुटओवर ब्रिज से प्लेटफॉर्म शेड पर छलांग लगा दी, जिससे कई यात्री घायल हो गए. भगदड़ के बाद प्लेटफॉर्म पर जूते, बैग, टूटी चप्पलें और यात्रियों का सामान बिखरा पड़ा है, जिसे अब हटाने का काम जारी है.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) पर हुई भगदड़ के भयावह मंजर को याद कर लोगों की रूह कांप रही है. हादसे की गवाह एक महिला ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ प्रयागराज जाने के लिए निकली थीं. महिला ने कहा कि हम आधे घंटे तक दबे रहे, मेरी ननद की मौत हो गई... हम उसे उठाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुंह से झाग आ रहा था.