कश्मीर: सीआरपीएफ बेस के लिए ज़मीन देने के ख़िलाफ़ औखू के किसान, कहा-ख़त्म हो जाएगी आजीविका
The Wire
बीते अक्टूबर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद ने दक्षिण कश्मीर के तीन ज़िलों- अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा में सीआरपीएफ बेस के लिए ज़मीनें देने को मंज़ूरी दी थी. इसमें से एक औखू गांव भी है. यहां के किसानों का कहना है कि वे बेहद ग़रीब हैं और अगर उनकी ज़मीनें भी ले ली गईं, तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा.
औखू (जम्मू और कश्मीर): जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा घाटी के औखू गांव में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लिए एक स्थायी बेस का निर्माण करने की घोषणा के कारण दर्जनों गरीब किसानों की जिंदगी भुखमरी और गरीबी के मुहाने पर आ गई है.
फैयाज अहमद एल्ली नामक एक किसान ने द वायर से कहा, ‘अगर सरकार मेरी जमीन लेती है, तो मेरे पास कुछ नहीं बचेगा. मैं अब काम नहीं कर सकता क्योंकि मेरी दो सर्जरी हो चुकी हैं. मुझे नहीं पता कि मेरी बेटियां अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगी या नहीं. हमारे पास ख़ुदकुशी के अलावा कोई और रास्ता नहीं होगा.’
फैयाज की सबसे बड़ी बेटी रेडिएशन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा कोर्स कर रही है, जो लगभग 250 घरों वाले इस गरीब गांव में एक बड़ी उपलब्धि है. उनकी अन्य बेटियां अभी भी हाईस्कूल में हैं.
उन्होंने हताशा भरे स्वर में कहा, ‘सरकार सीआरपीएफ के लिए वैकल्पिक जमीन ढूंढ सकती है, लेकिन हम कहां जाएंगे? अगर हम अपने भरण-पोषण से वंचित रहे तो मेरा परिवार भूखा रहेगा.’