कलाम को सलाम, तस्वीरों में देखें ‘मिसाइल मैन’ का सफर...
The Quint
APJ Abdul Kalaml Special: Remembering ‘Missile Man of India’ on his Birthday. हम तस्वीरों के जरिए बता रहे हैं आपको देश के पूर्व राष्ट्रपति कलाम की जिंदगी से जुड़े खास पहलू.
देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर क्विंट उन्हें याद कर रहा है. इसी क्रम मे हम तस्वीरों के जरिए बता रहे हैं आपको देश के पूर्व राष्ट्रपति कलाम की जिंदगी से जुड़े खास पहलू.बेंगलुरु के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीई) में कलाम के एक होवरक्रॉफ्ट प्रोजेक्ट को उसकी कामयाबी के बावजूद खत्म कर दिया गया. लेकिन उनके इस कारनामे ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के डाइरेक्टर का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने कलाम को इंस्टीट्यूट में दाखिले के लिए इंटरव्यू देने बुलाया.विक्रम साराभाई के साथ कलाम (फोटो: Sudipta Routh)सेलेक्शन कमेटी में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के विक्रम साराभाई भी थे. वैसे तो कलाम रॉकेट इंजीनियर के पद पर चुने गए, लेकिन उससे बड़ी बात यह रही कि विक्रम साराभाई से इस मुलाकात ने कलाम के करियर में बहुत अहम बदलाव ला दिया.अंतरिक्ष और मिसाइल की ओर कलाम की रुचि शुरू से ही थी (फोटो: Sudipta Routh)रॉकेटों को बैलगाड़ियों पर लादकर ले जाने से लेकर भारत को परमाणु शक्ति बनाने तक के इस सफर में कलाम उन चुनिंदा लोगों मे से एक थे, जिन्होंने इसरो की शुरुआत से ही विक्रम साराभाई के साथ काम किया, इसलिए उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है.इंदिरा गांधी के साथ कलाम (फोटो: www.officialkalam.com)कहा जाता है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मिसाइल कार्यक्रमों के लिए ज्यादा बजट देने से इनकार कर दिया था. लेकिन वो कलाम ही थे, जिन्होंने उन्हें राजी किया.वे पांच वैज्ञानिक, जिन्हें कलाम के शुरुआती दौर में ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा गया. (फोटो: www.officialkalam.com)कलाम के बारे में बताते हुए प्रोफेसर केएवी पंडलाई कहते हैं कि कलाम ने जब पहली बार नासा में टीपू सुल्तान की तस्वीर देखी, (जिसमें वो अंग्रेजों के खिलाफ 1794 में रॉकेट का उपयोग करते हैं) तो भौचक्के रह गए.पेंटिंग में टीपू सुल्तान को हीरो के तौर पर दिखाया गया था. लेकिन भारत में कहीं भी टीपू की इस तरह की पेंटिंग नहीं है. कलाम समझ गए कि आखिर क्यों अमेरिका साइंस में इतनी तरक्की कर गया, जबकि जहां राकेट का जन्म हुआ, वहां हम पीछे रह गए. उन्हें लगता था कि भारतीयों में राष्ट्रीय गर्व की कमी है. वो हमेशा शिकायत ही करते रहते हैं. उनमें टीम वर्क और कुछ हासिल करने की ललक नहीं होती. अमेरिक...More Related News