कलमा न पढ़ पाने पर जब भारतीय पायलट बनाए गए क़ैदी- विवेचना
BBC
1971 युद्ध की 11वीं कड़ी में आज कहानी भारतीय पायलट जवाहरलाल भार्गव की, जिनका विमान पाकिस्तान में मार गिराया गया. वो भारत की सीमा की तरफ़ पैदल बढ़े लेकिन सीमा से केवल 15 किलोमीटर पहले पकड़े गए.
पाँच दिसंबर, 1971 को करीब 9 बजकर 20 मिनट पर जब फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट जवाहरलाल भार्गव के मारुत विमान ने पाकिस्तान के नयाछोर इलाके में बमबारी करने के लिए नीचे डाइव लगाई तो उनके विमान में एक विमानभेदी तोप का गोला लगा.
कॉकपिट में लाल बत्तियाँ जलने लगीं और विमान का बायां इंजन फ़ेल हो गया. उन्होंने तुरंत हमला छोड़ कर वापस भारत लौटने की कोशिश की. उनके नीचे सिंध का अथाह रेगिस्तान था.
जैसे ही उन्हें ज़मीन पास आती दिखाई दी युवा पायलट ने ईश्वर का नाम लेकर पूरी ताकत से इजेक्शन बटन दबाया.
1971 की लड़ाई पर हाल ही में प्रकाशित पुस्तक '1971 चार्ज ऑफ़ द गोरखाज़' लिखने वाली रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "भार्गव के विमान के ऊपर की कनोपी खुली और एक सेकेंड से भी कम समय में वो हवा में थे. थोड़ी ही देर में फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट जवाहरलाल भार्गव ने अपने आप को रेगिस्तान की बालू पर पड़े हुए पाया. उनके ज़मीन छूने से पहले पास ही में उनका विमान क्रैश कर चुका था."
"ये अंदाज़ा लगाते हुए कि उनके विमान में रखे हथियार कभी भी फट सकते हैं, उन्होंने अपने पैराशूट को बालू में गाड़ा और तेज़ी से उस जगह से हटने की कोशिश की. वो जगह छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी पायलट सर्वाइवल किट उठा ली जिसमें एक स्लीपिंग बैग, स्टोव, चॉकलेट, चाकू, कम्पस और पानी की 100 मिलीलीटर की चार बोतलें थीं."