![कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों को धार्मिक आधार पर आरक्षण से बाहर कर दिया, जबकि जैन और ईसाई पात्र हैं](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2023/04/Basavaraj-Bommai-e1680348950693.jpeg)
कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों को धार्मिक आधार पर आरक्षण से बाहर कर दिया, जबकि जैन और ईसाई पात्र हैं
The Wire
कर्नाटक की भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीते 27 मार्च के एक आदेश में मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा वर्ग आरक्षण की पात्रता से बाहर कर दिया था. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण के लिए संविधान के तहत कोई प्रावधान नहीं है.
नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने बीते 27 मार्च के एक आदेश में आरक्षण के लिए ‘पिछड़े वर्ग’ की परिभाषा को पुनर्वर्गीकृत किया है, जिसमें मुसलमानों को पात्रता से बाहर रखा गया है, जबकि जैन (दिगंबर) और ईसाई आरक्षण के पात्र हैं.
जैसा कि द वायर ने रिपोर्ट किया है, भाजपा सरकार ने विवादास्पद रूप से राज्य में मुसलमानों के लिए अब तक 4 प्रतिशत आरक्षण को हटाते हुए इसे राज्य के प्रभावशाली समुदायों – लिंगायत और वोक्कालिगा – के बीच समान रूप से बांट दिया है.
वोक्कालिगा के लिए कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. पंचमसालियों, वीरशैवों और लिंगायतों वाली अन्य श्रेणी के लिए कोटा भी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है.
मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी में जोड़ा गया है, जिसमें कुल 10 प्रतिशत हैं और इसमें ब्राह्मण, जैन, आर्यवैश्य, नागरथ और मोदलियार शामिल हैं.