![कर्नाटक: भगत सिंह की किताब के चलते यूएपीए के तहत गिरफ़्तार आदिवासी पिता-पुत्र बरी](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2021/10/Karnataka-Adivasi-Father-Son-Twitter.jpeg)
कर्नाटक: भगत सिंह की किताब के चलते यूएपीए के तहत गिरफ़्तार आदिवासी पिता-पुत्र बरी
The Wire
मामला मंगलुरु का है, जहां साल 2012 में पत्रकारिता के छात्र विट्टला मेलेकुडिया और उनके पिता को गिरफ़्तार करते हुए उनके पास मिली किताबों आदि के आधार पर उन पर यूएपीए के तहत राजद्रोह और आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे. एक ज़िला अदालत ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि पुलिस कोई भी सबूत देने में विफल रही. भगत सिंह की किताबें या अख़बार पढ़ना क़ानून के तहत वर्जित नहीं हैं.
नई दिल्ली: देश की एक अदालत द्वारा एक और बार यह दोहराते हुए कि किसी साहित्य का बरामद होना प्रतिबंधित संगठन के साथ कोई सीधा संबंध साबित नहीं करता है, कर्नाटक की एक जिला अदालत ने एक आदिवासी युवक को बरी कर दिया, जिन्हें 2012 में कथित माओवादी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
दक्षिण कन्नड़ के तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीबी जकाती ने गुरुवार को पत्रकार विट्टला मेलेकुडिया और उनके पिता को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तारी के नौ साल के बाद राजद्रोह के आरोपों से बरी कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विट्टला के छात्रावास के कमरे से जब्त की गई किताबों के आधार पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ संबंध रखने के आरोप में उस समय पत्रकारिता के इस 23 वर्षीय छात्र और उनके पिता लिंगप्पा मालेकुड़िया को गिरफ्तार किया गया था. दोनों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत राजद्रोह और आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके पास मिले कथित रूप से आपत्तिजनक साहित्य की सूची में भगत सिंह की एक किताब भी शामिल है, इसके अलावा उनके पास ‘जब तक कि उनके गांव को बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचतीं, तब तक संसद चुनावों का बहिष्कार करने’ का एक पत्र और कुछ अख़बारों के लेखों की कतरनें मिली थीं.