करोल बाग के जिस रविदास मंदिर में गए मोदी उसी के सामने दलितों को पढ़ाते थे महात्मा गांधी
BBC
मंदिर के पुजारी रामसारे शुक्ला की मंदिर की दान पेटी में अब भी पुराने ज़माने के सिक्के मौजूद हैं. यह इस बात का सुबूत है कि यह काफी प्राचीन जगह है.
बुधवार को दिल्ली की सरकार ने संत रविदास की 645 वीं जयंती पर सरकारी दफ़्तरों और शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी की घोषणा की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करोलबाग स्थित गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर पहुंचे. उन्होंने वहां पर अरदास में शिरकत की और भजन के दौरान ख़ुद मंजीरा भी बजाया.
हालांकि चुनावों के मौसम में संत रविदास की जयंती पर नेताओं का उनके जन्म स्थान वाराणसी और दिल्ली के करोल बाग़ के विश्राम स्थान धाम मंदिर जाने को अलग अलग नज़रिए से देखा जा रहा है. लोग अपने-अपने तरीक़े से इसकी व्याख्या कर रहे हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि सभी दलों के राजनेताओं को ऐसी जगहों पर आना ही चाहिए. मंदिर के ट्रस्टी प्रदीप कुमार ने बीबीसी से कहा कि संत रविदास जात-पांत के ख़िलाफ़ थे. इस लिए जब नेता उनकी जन्मस्थली या मंदिर आते हैं तो उन्हें भी इस बात का अहसास होता ही होगा कि समाज में सब बराबर हैं.
इस मंदिर का नाम ही गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर है. मान्यता है कि लगभग 600 साल पहले संत रविदास ने इस स्थान पर विश्राम किया था. ये भी मान्यता है कि संत रविदास के चरणों के निशान इस जगह पर अब भी मौजूद हैं. यही वजह है कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मंदिर के पुजारी रामसारे शुक्ला की मंदिर की दान पेटी में अब भी पुराने ज़माने के सिक्के मौजूद हैं. यह इस बात का सुबूत है कि यह काफी प्राचीन जगह है.