
कमला भसीन: वो महिला जिन्होंने अपने गीतों से भारतीय नारीवादी आंदोलन को ऊंचाई दी
BBC
कमला भसीन ने दक्षिण एशिया के नारीवादी आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में एक अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने गीतों, सरल भाषा और सहज़ स्वभाव से अपने विचारों को आम जनमानस तक पहुंचाया.
दक्षिण एशिया में अपने नारों, गीतों और अकाट्य तर्कों से नारीवादी आंदोलन को बुलंदियों पर ले जाने वालीं मशहूर लेखिका और नारीवादी आंदोलनकारी कमला भसीन का शनिवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया है.
सारी उम्र अपनी शर्तों और मानकों पर ज़िंदगी जीने वाली 76 वर्षीय कमला भसीन जीवन के आख़िरी समय में कैंसर से जूझ रही थीं.
कमला भसीन को बेहद क़रीब से जानने वालीं नारीवादी कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव बताती हैं कि वह अपने अंतिम दिनों में भी अपने गानों, दोहों और कविताओं से लोगों में जीवन की ऊर्जा का संचार करती रहीं.
वह कहती हैं, "जून महीने में ही उन्हें लिवर कैंसर डिटेक्ट हुआ था. और बस तीन महीनों में वो हमें छोड़कर चली गयीं. क्या कहा जा सकता है... ये एम्परर ऑफ़ ऑल मेलेडीज़ (सबसे बड़ी बीमारी) है."
"लेकिन अपने जीवन के अंतिम दौर में भी उन्होंने हार नहीं मानी. दो-तीन बार अस्पताल में भर्ती हुईं. लेकिन उस माहौल में भी उन्होंने अपने गानों, दोहों और कविताओं के दम पर ऊर्जा का संचार कर दिया. वह अपने साथी मरीजों को हंसाती थीं. लोगों के साथ मज़ाक करती थीं. योगा करती थीं. और डॉक्टर से विस्तार से अपने इलाज़ के बारे में बात करती थीं."