कभी 'मैनचेस्टर ऑफ़ ईस्ट' रहा कानपुर कैसे बन गया बंद मिलों का शहर
BBC
कभी औद्योगिक केंद्र रहे कानपुर शहर के ज़रिए पूरे उत्तर प्रदेश में उद्योग-धंधों की बदहाली के कारणों को समझा जा सकता है.
कभी राम प्रकाश कानपुर की जेके जूट मिल के कर्मचारी थे. कर्मचारी यूनियन के नेता भी बने. कानपुर को लेकर उनका उत्साह आज भी देखते बनता है.
वे कहते हैं, "हमारा शहर एक समय में संगठित श्रमिकों का शहर था, यूपी के उद्योग-धंधों की जान यहाँ बसती थी और इसे पूर्व का मैनचेस्टर भी कहते थे."
रामप्रकाश को शहर का आर्थिक विकास थमने का अफ़सोस है.
कभी मिलों के सायरन, मशीनों की गड़गड़ाहट और अपने-अपने मिलों के लिए सड़क किनारे भागते श्रमिकों के साइकिल की घंटियों की आवाज़ से शहर गूंजता रहता था लेकिन सब थम गया है.
मिल मालिकों ने आधुनिक तकनीकों का ख़र्च उठाने से इनकार कर दिया और मिल मज़दूरों के वेतन का भुगतान नहीं किया और दूसरे उद्योग-धंधों में लग गए. रामप्रकाश के मुताबिक इससे श्रमिकों की हालत ख़राब हो गई. वे चिटफिंड के घोटालेबाज़ों के चंगुल में फंस गए, उनके झूठे वादों के शिकार हो गए.