
कभी चीनी कहे गए पूर्वोत्तर भारत के कलाकार कैसे बॉलीवुड में लिख रहे हैं ख़ुद की कहानी
BBC
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में पूर्वोत्तर से आए कलाकारों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता रहा है. लेकिन अब लगता है कि हालात बदल रहे हैं.
"जब मैं पूणे के फ़िल्म इंस्टीट्यूट में पढ़ने आया था तो पहले दिन सब छात्रों ने अपने नाम बताए. मैंने बोला कि मेरा नाम सेरिंग फ़िंसो डेनज़ोंगपा है. मैं सिक्किम से था और कोई मेरा नाम बोल ही नहीं पा रहा था. मुझे देखते ही मेरे क्लासमेट कहते थे शश...जैसे मैं कोई जानवर हूँ. तब जया बच्चन भी वहाँ पढ़ती थी. और उन्होंने कहा कि मेरा अपना आसान सा नाम रख लूँ डैनी."
सिक्किम से आने वाले और हिंदी फ़िल्मों के अभिनेता डैनी ये किस्सा अनेकों बार सुना चुके हैं.
अनुभव सिन्हा और आयुष्मान खुराना की नई फ़िल्म 'अनेक' में कुछ सीन देखने के बाद यही ख़्याल मन में आया कि 70 के दशक में फ़िल्मों में आए डैनी के बाद आज भी पूर्वोत्तर राज्यों के बहुत कम एक्टर हैं जो हिंदी फ़िल्मों में जगह बना पाए हैं.
फ़िल्म 'अनेक' के ये डायलॉग आपका ध्यान बार-बार अपनी ओर खींचते हैं. मसलन - "पार्लर वाली है? मसाज करती है? या 'नेपालन' है ?"
पुलिस पूछताछ में पूर्वोत्तर भारत की एक लड़की से ये सवाल पूछा जा रहा है. "अगर आइडियो (पूर्वोत्तर के एक राज्य की बॉक्सर) को भी टीम में ले लेते हैं तो ये भारतीय टीम होगी या चीन की टीम?" तो वहीं अभिनेत्री कहती है, "हमको चिंकी बुलाते हैं"