कभी 'गधों' के लिए दीवानगी, तो कभी 'बंदरों' पर मोहब्बत... चीन की इन चालों के बारे में सोच भी नहीं सकते आप
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चीन अभी तक केवल पाकिस्तान से गधे लेने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब वो श्रीलंका से बंदर लेने के चलते चर्चा में है. इन बंदरों का वो क्या करेगा, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
'पाकिस्तान और गधे...' एक वक्त पर चीन बार-बार ये शब्द बड़बड़ा रहा था. मगर अब उसने 'बंदर और श्रीलंका...' बड़बड़ाना शुरू कर दिया है. जासूसी, चालबाजी, धोखा, फरेब, घुसपैठ... इस मामले में चीन किस हद तक गिर सकता है, ये पूरी दुनिया जानती है. कोरोना महामारी के वक्त तो इंसानियत के मामले में भी चीन जमीन के नीचे गढ़ने तक गिर चुका था. मगर अब वो जानवरों का इस्तेमाल कर अपने तमाम मंसूबे पूरे करने की फिराक में है.
माजरा ये है कि चीन ने श्रीलंका से एक लाख बंदरों की मांग की है. उसने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा है कि वह इन्हें देश के 1000 अलग-अलग चिड़ियाघरों में रखेगा. उसने अपनी इस मांग को पूरा कराने के लिए श्रीलंका के साथ तीन दौर की बातचीत पूरी कर ली है. श्रीलंका भी पूरी तरह रेडी दिख रहा है. चीन को जो बंदर दिए जाएंगे, वो विशेष टॉक मकाक प्रजाति के बंदर हैं. ऐसा माना जाता है कि यह केवल श्रीलंका में ही पाए जाते हैं.
चीन कितना पैसा लुटाने को तैयार?
चीन बंदरों पर खूब पैसा लुटाने को तैयार है. श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा ने बताया कि एक बंदर को पकड़ने में करीब 5 हजार श्रीलंकाई रुपये खर्च होते हैं. वहीं चीन प्रत्येक बंदर पर 30-50 हजार श्रीलंकाई रुपये खर्च करने को तैयार है. ये पैसा बंदरों को पकड़ने, उनकी जांच करने, उन्हें पिंजड़ों में रखने और फिर चीन लेकर जाने में खर्च होगा.
सरकार क्या तर्क दे रही है?
श्रीलंका की सरकार ने चीन को बंदर दिए जाने के मामले में विस्तार से बातचीत पूरी कर ली है. इससे जुड़ी बैठक में कई विभागों के अधिकारी शामिल हुए. बैठक में सूचना दी गई कि देश में बंदरों की आबादी 30 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है.
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