![कन्यादान सिर्फ़ लड़कियों का क्यों? भारतीय परंपराओं को चुनौती देते विज्ञापन](https://ichef.bbci.co.uk/news/1024/branded_hindi/1187D/production/_120650817_mediaitem120650816.jpg)
कन्यादान सिर्फ़ लड़कियों का क्यों? भारतीय परंपराओं को चुनौती देते विज्ञापन
BBC
इन दिनों भारत में कुछ ऐसे विज्ञापनों की चर्चा है, जिनमें महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने की भी बात है.
इन दिनों टेलीविज़न और सोशल मीडिया पर दो विज्ञापन छाए हुए हैं, जिनमें एक है 'मान्यवर मोहे' का विज्ञापन, जिसमें फ़िल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट एक दुल्हन बनी नज़र आ रही हैं.
दूसरा विज्ञापन है कैडबरी चॉकलेट का, जिसमें चेन्नई की तैराक और अभिनेत्री काव्या रमाचंद्रन क्रिकेटर की भूमिका में है.
एक विज्ञापन भारतीय समाज में चली आ रही परंपराओं और रीति-रिवाज पर सवाल उठाता है, तो दूसरा जेंडर स्टीरियोटाइप या लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ता दिखता है.
मान्यवर मोहे कपड़ों का ब्रैंड है और इसके विज्ञापन में दुल्हन की भूमिका में नज़र आ रही आलिया भट्ट मंडप में बैठी हैं और रीति-रिवाजों और परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ दी गई लड़की के ज़हन में आने वाले सवाल को उठा रही हैं.
बेटी पराया धन क्यों है? क्यों सिर्फ़ उसका कन्यादान होता है? इस विज्ञापन के अंत में देखा जा सकता है कि लड़के के माता-पिता अपने बेटे का हाथ आगे बढ़ाते हैं और आलिया कहती हैं - नया आइडिया कन्या मान.